नई दिल्ली (नेहा): भारत ने हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में सबसे बड़ी छलांग लगाई है। पिछले छह महीनों में भारत 85वें स्थान से 77वें स्थान पर पहुंच गया है। यह इंडेक्स दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्टों को इस आधार पर रैंक करता है कि किसी देश का पासपोर्ट धारक कितने देशों में बिना वीजा के प्रवेश कर सकते हैं। भारत की यह छलांग हाल के वर्षों में एक प्रवृत्ति का हिस्सा है जहां पारंपरिक रूप से शक्तिशाली देश जैसे- अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं और भारत और सऊदी अरब जैसे अन्य देश लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं।
हेनले एंड पार्टनर्स के सीईओ डॉ जुएर्ग स्टीफन ने कहा कि यह अमेरिका और यूके की बदलती नीतियों से प्रभावित माइग्रेशन के नए स्वरूप का परिणाम है। एक प्रेस विज्ञप्ति में स्टीफन के हवाले से कहा गया, “अमेरिकी अब दुनिया भर में वैकल्पिक निवास और नागरिकता विकल्पों की मांग में सबसे आगे हैं, और ब्रिटिश नागरिक भी दुनिया भर में शीर्ष पांच में शामिल हैं। जैसे-जैसे अमेरिका और ब्रिटेन अंतर्मुखी नीतियां अपना रहे हैं, हम उनके नागरिकों की वैश्विक पहुंच और सुरक्षा की चाहत में उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं।”
पासपोर्ट सूचकांक के अनुसार, सिंगापुर अभी भी दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट बना हुआ है। यहां के नागरिक दुनिया के 227 गंतव्यों में से 193 में वीजा-फ्री एंट्री ले सकते हैं। जबकि, अफगानिस्तान दुनिया का सबसे खराब पासपोर्ट बना हुआ है, जहां 25 देशों के केवल 25 गंतव्यों तक वीजा-फ्री पहुंच उपलब्ध है। भारत पासपोर्ट इंडेक्स में 77वें स्थान पर पहुंच गया है और उसके पास 59 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुंच उपलब्ध है। इसका प्रमुख कारण अमेरिका और ब्रिटेन के पासपोर्ट का कमजोर होना है। हेनले के सीईओ स्टीफन ने कहा कि किसी देश के पासपोर्ट की स्थिति कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उसके प्रभाव को दर्शाती है। स्टीफन ने कहा, “आपका पासपोर्ट अब सिर्फ एक यात्रा दस्तावेज नहीं रह गया है – यह आपके देश के राजनयिक प्रभाव और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रतिबिंब है।”
पासपोर्ट इंडेक्स में सऊदी अरब ने पिछले छह महीनों में सबसे ज्यादा लंबी छलांग लगाई है और अपनी वीजा-मुक्त सूची में चार और गंतव्यों को जोड़ा है। दूसरी ओर अमेरिका और ब्रिटेन, दोनों एक-एक स्थान नीचे खिसक गए हैं। ब्रिटेन छठे स्थान पर और संयुक्त राज्य अमेरिका दसवें स्थान पर है। हेनली एंड पार्टनर्स ने एक विज्ञप्ति में कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका पहली बार शीर्ष 10 देशों से बाहर होने का जोखिम उठा रहा है।