नई दिल्ली (नेहा): पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब में हुआ है। वहीं सतलुज और ब्यास नदी में आई बाढ़ को लेकर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने शुक्रवार को कहा कि बांध में सीमित पानी की भंडारण क्षमता है, यदि उससे अधिक पानी आएगा तो वह डाउन स्ट्रीम में छोड़ना ही पड़ेगा। पौंग बांध के कैचमेंट एरिया में अब तक के इतिहास की सबसे अधिक वर्षा ने पंजाब को बाढ़ की स्थिति में पहुंचाया है। वहीं अब मौसम विभाग ने अगले तीन-चार दिनों तक भारी वर्षा की संभावना से इंकार किया है। उधर, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में भी वर्षा का दौर शुक्रवार को थम गया। जिससे राहत कार्यों में तेजी आई है।
बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 1988 के बाद पंजाब में चार बार अधिक बारिश हुई है लेकिन उस समय भी इतना पानी कभी नहीं आया। उन्होंने बताया कि 1988 में पौंग बांध में 7.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया था जो इस वर्ष 11.7 बीसीएम आया है। वहीं, पंजाब में करीब 2000 गांव डूब गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भारी बारिश ने उत्तर भारतीय राज्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है, सड़कें और संपत्तियां नष्ट हो गई हैं और कई लोगों की जान चली गई है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों के कुछ हिस्से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं।