नई दिल्ली (राघव): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (7 मई) नई दिल्ली में 12वें वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन (GLEX 2025) का उद्घाटन किया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा केवल तकनीकी प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और मानवता की भलाई करना है। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष नीति प्रतिस्पर्धा के बजाय ‘एक साथ मिलकर आगे बढ़ने’ के सिद्धांत पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में चंद्रयान मिशनों की ऐतिहासिक सफलता का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज में मदद की, चंद्रयान-2 ने हाई-रेजोल्यूशन वाली तस्वीरें दीं और चंद्रयान-3 ने दक्षिणी ध्रुव को लेकर हमारी समझ को गहराई दी।” उन्होंने एक ही मिशन में 100 सैटेलाइट लॉन्च करने और 34 देशों के लिए 400 से अधिक सैटेलाइट प्रक्षेपित करने की भारत की क्षमता पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही G20 सैटेलाइट मिशन लॉन्च करेगा, जो ग्लोबल साउथ को जलवायु और पर्यावरणीय निगरानी में मदद करेगा। सम्मेलन में उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि अंतरिक्ष तकनीक का लाभ केवल कुछ देशों तक सीमित न रहे।” उन्होंने एक्सिओम-4 मिशन को लेकर कहा कि जल्द ही एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री (शुभांशु शुक्ला) ISRO और नासा साझा मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा पर जाएगा, जो एक नए वैश्विक सहयोग की शुरुआत होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष, भारत ने अंतरिक्ष में 2 सैटेलाइट्स को डॉक करके एक बड़ी छलांग लगाई, जो देश के लिए पहली बार है। अंतरिक्ष क्षेत्र के सामाजिक उपयोगों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला और बताया कि भारत में सैटेलाइट अब मछुआरों को चेतावनी भेजने, मौसम पूर्वानुमान सुधारने और गति शक्ति जैसी सरकारी पहलों में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम तकनीक को शासन और आजीविका सुधारने के उपकरण के रूप में देख रहे हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब भारत में अंतरिक्ष से जुड़ी कई नई कंपनियां काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि 250 से ज्यादा स्टार्टअप सैटेलाइट बनाने, तस्वीरें लेने और रॉकेट तकनीक पर काम कर रहे हैं। इनमें से कई कामों की अगुवाई महिला वैज्ञानिक कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की अंतरिक्ष सोच आपसी सहयोग और इंसानों की भलाई पर टिकी है और देश इसी रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।