नई दिल्ली (राघव): लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी “मेक इन इंडिया” पहल की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में बड़े-बड़े वादों के साथ शुरू की गई यह योजना अपने लक्ष्यों को पाने में पूरी तरह विफल रही है। राहुल गांधी के मुताबिक, ‘मेक इन इंडिया’ से न तो देश में नए कारखानों की बाढ़ आई और न ही युवाओं को पर्याप्त रोजगार मिल पाया है। इसके उलट, देश की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता घटकर अब सिर्फ 14% रह गई है और युवाओं में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “‘मेक इन इंडिया’ ने फैक्ट्री बूम का वादा किया था, तो फिर मैन्युफैक्चरिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर क्यों है? युवाओं की बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है? और चीन से आयात क्यों दोगुना हो गया है? मोदी जी को नारे देने की कला आ गई है, लेकिन समाधान देने में वो फेल हैं।” उनके इस बयान से राजनीतिक गलियारों में गरमागरम बहस छिड़ गई है।
राहुल गांधी ने अपनी बात को साबित करने के लिए नई दिल्ली के नेहरू प्लेस में दो युवा शिवम और सैफ से अपनी मुलाकात का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये दोनों युवा बेहद कुशल, प्रतिभाशाली और मेहनती हैं, लेकिन उन्हें अपने सपनों को पूरा करने और देश में ही बेहतर अवसर प्राप्त करने का मौका नहीं मिल पा रहा है. राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, “हम सिर्फ सामान असेंबल करते हैं, बाहर से मंगवाते हैं, लेकिन असली निर्माण नहीं करते। चीन मुनाफा कमा रहा है और हमारे युवा पीछे छूट रहे हैं।”
उन्होंने भारत की वर्तमान आर्थिक नीति को असंतुलित और अवसरहीन बताया। राहुल गांधी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 2014 से अब तक भारत के विनिर्माण क्षेत्र का कुल राष्ट्रीय उत्पादन (GDP) में योगदान गिरकर सिर्फ 14% रह गया है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चीन से होने वाला आयात पिछले कुछ सालों में दोगुना हो गया है, जिससे देश के छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) पर सीधा और नकारात्मक असर पड़ रहा है।
राहुल गांधी ने सरकार की उद्योग नीति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के पास अब कोई नया विचार नहीं है जो देश की विनिर्माण क्षमता को बढ़ा सके। उन्होंने यह भी दावा किया कि जिस PLI योजना की सरकार ने खूब चर्चा की थी और जिसे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लाया गया था, उसे अब धीरे-धीरे चुपचाप खत्म किया जा रहा है। राहुल गांधी के अनुसार, मोदी सरकार ने अब भारतीय उद्योगों को बढ़ाने की उम्मीद ही छोड़ दी है, जिसका सीधा असर देश की आर्थिक प्रगति पर पड़ रहा है।
राहुल गांधी ने देश को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भारत अपनी निर्माण क्षमता नहीं बढ़ाता है, तो हम केवल दूसरे देशों के लिए एक बड़ा बाजार बनकर रह जाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अब ईमानदार सुधारों और पर्याप्त वित्तीय समर्थन के साथ एक मूलभूत आर्थिक परिवर्तन की सख्त जरूरत है। राहुल गांधी ने अपने बयान के अंत में कहा, “हमें सिर्फ बाजार नहीं बनना है, बल्कि एक शक्तिशाली निर्माता बनना है। अगर हम यहां निर्माण नहीं करेंगे, तो हमेशा उन लोगों से खरीदते रहेंगे जो करते हैं। घड़ी की सुइयां तेजी से चल रही हैं।” यह बयान देश की औद्योगिक नीति और आर्थिक भविष्य पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है।