नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली का लाल किला आज से नहीं बल्कि सालों से देश की राजधानी की पहचान बना हुआ है। ये मुगल साम्राज्य का प्रतीक और यूनेस्को विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है। आजकल ये धरोहर अपनी लाल दीवारों की बजाय काली पड़ती सतहों को लेकर चर्चा में बना हुआ है। 15 सितंबर, 2025 को जारी एक नई स्टडी ने खुलासा हुआ कि दिल्ली की जहरीली हवा इसकी वजह है। इस स्टडी को कैरेक्टराइजेशन ऑफ रेड सैंडस्टोन एंड ब्लैक क्रस्ट टू एनालाइज एयर पॉल्यूशन इम्पैक्ट्स ऑन द कल्चरल हेरिटेज बिल्डिंग, रेड फोर्ट, दिल्ली, इंडिया नाम दिया गया।
ये पहली वैज्ञानिक जांच है, जो हवा के प्रदूषण से इस स्मारक को हो रही क्षति को लेकर रिसर्च करती है। ये स्टडी भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और इटली के विदेश मंत्रालय के सहयोग से बनी है। इसमें आईआईटी कानपुर, आईआईटी रुड़की, फोस्कारी यूनिवर्सिटी (वेनिस) और ASI के वैज्ञानिक शामिल थे। शोधकर्ताओं ने किले के कई हिस्सों से रेड सैंड स्टोन और ब्लैक क्रस्ट के सैंपल लिए। इनका लैब टेस्ट किया गया। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के 2021-2023 के एयर क्वालिटी डाटा से जोड़ा गया।
आज इसकी दीवारों पर काली परतें बन रही हैं। ये क्रस्ट आश्रय वाले क्षेत्रों में 0.05 mm पतली और ट्रैफिक वाले इलाकों में 0.5 mm मोटी हैं। इससे किले की सौंदर्य खतरे में है। 2018 में पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ASI) ने 2 मीटर मोटी गंदगी की परत हटाई थी, लेकिन प्रदूषण से समस्या बढ़ती ही जा रही है।