नई दिल्ली (नेहा): तुर्की में साप्ताहिक व्यंग्य पत्रिका लेमन द्वारा प्रकाशित एक कार्टून को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। इसके चलते कम से कम तीन कार्टूनिस्टों को गिरफ्तार किया गया है। कार्टून में पैगंबर मूसा और पैगंबर मुहम्मद जैसे दिखने वाले व्यक्ति को आसमान में हाथ मिलाते हुए दिखाया गया है। बस इसी ने लोगों की भावनाओं को भड़का दिया। जिसके बाद तुर्की के अधिकारियों ने कड़ी कार्रवाई की और इस्तांबुल में पत्रिका के कार्यालय के बाहर गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किए।
लेमन पत्रिका के 26 जून के अंक में प्रकाशित इस कार्टून में दो व्यक्तियों को दिखाया गया है, जिन्हें पैगंबर मूसा और पैगंबर मुहम्मद के रूप में माना जा रहा है। कार्टून में दोनों आसमान में एक-दूसरे से हाथ मिलाते हुए नजर आते हैं, और नीच जमीन पर एक जलता हुआ शहर और मिसाइलें दिखाई देती हैं। पत्रिका का दावा है कि कार्टून का उद्देश्य इजरायल के हमलों में मारे गए एक मुस्लिम व्यक्ति की पीड़ा को उजागर करना था, जिसका नाम काल्पनिक रूप से “मुहम्मद” रखा गया था। पत्रिका के संपादक-प्रमुख तुन्के अकगुन ने एएफपी से फोन पर बात करते हुए कहा, “इस्लामी दुनिया में 20 करोड़ से अधिक लोग मुहम्मद नाम के हैं। इस कार्टून का पैगंबर मुहम्मद से कोई लेना-देना नहीं है।” हालांकि, इस स्पष्टीकरण के बावजूद, कार्टून को धार्मिक भावनाओं का अपमान माना गया, और इसे लेकर तुर्की के अधिकारियों और रूढ़िवादी समूहों में भारी आक्रोश फैल गया।
तुर्की के गृह मंत्री अली येरलिकाया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कार्टूनिस्ट डोगन पेहलवान को पुलिस द्वारा हथकड़ी लगाकर एक इमारत की सीढ़ियों पर ले जाया जा रहा है। येरलिकाया ने कार्टून को “घृणित” और “हमारे पैगंबर मुहम्मद की निंदनीय छवि” बताते हुए कहा, “मैं उन लोगों को फिर से कोसता हूं जो हमारे पैगंबर मुहम्मद के कार्टून बनाकर अशांति फैलाने की कोशिश करते हैं।”
न्याय मंत्री यिल्माज तुन्च ने घोषणा की कि इस्तांबुल के मुख्य अभियोजक कार्यालय ने तुर्की दंड संहिता की धारा 216 के तहत जांच शुरू की है, जो “सार्वजनिक रूप से धार्मिक मूल्यों का अपमान” करने और “घृणा और शत्रुता भड़काने” को अपराध मानती है। इस जांच के तहत छह लोगों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं, जिनमें कार्टूनिस्ट डोगन पेहलवान, पत्रिका के दो संपादक-प्रमुख, और प्रबंध संपादक शामिल हैं।
कार्टून के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, इस्तांबुल में लेमन पत्रिका के कार्यालय के बाहर दर्जनों गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने हमला किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्रिका के मुख्यालय पर पत्थर और डंडों से हमला किया, खिड़कियां तोड़ दीं, और इमारत में घुसने की कोशिश की। पुलिस ने रबर की गोलियां और आंसू गैस का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर किया। एक बार में भी हमला हुआ है क्योंकि इसे लेमन के कर्मचारियों द्वारा अक्सर उपयोग किया जाता था।
लेमन पत्रिका ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर अपने पाठकों से माफी मांगी और कहा कि कार्टून को गलत समझा गया है। पत्रिका ने स्पष्ट किया कि कार्टून का उद्देश्य धार्मिक मूल्यों का अपमान करना नहीं था, बल्कि यह इजरायल के हमलों में मारे गए एक मुस्लिम व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाने का प्रयास था। पत्रिका ने कहा, “मुहम्मद नाम दुनिया भर में मुसलमानों द्वारा सम्मानित पैगंबर के नाम पर सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।”
यह घटना 2015 के चार्ली हेब्दो हमले की याद दिलाती है, जब फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका के कार्यालय पर बंदूकधारियों ने हमला किया था, जिसमें 12 लोग मारे गए थे, जिनमें कई कार्टूनिस्ट शामिल थे। उस हमले का कारण भी पैगंबर मुहम्मद के कार्टून थे। तुर्की में भी पहले कार्टूनिस्टों को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में निशाना बनाया गया है। उदाहरण के लिए, 2012 में पेंगुएन पत्रिका के कार्यालय में आग लगा दी गई थी, और 2011 में कार्टूनिस्ट बहादिर बारुतेर को धार्मिक मूल्यों का अपमान करने के आरोप में मुकदमा झेलना पड़ा था।