नई दिल्ली (नेहा): भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जययशंकर ने आज ब्रिक्स समिट की इमरजेंसी मीटिंग में भाग लिया। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा भी शामिल हुए। पहले इस बैठक में पीएम मोदी शामिल होने वाले थे लेकिन किन्हीं कारणों से वह इसमें शामिल नहीं हुए। बैठक के दौरान एस जयशंकर ने दमदार तरीके से दुनिया को संदेश दिया। विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति वास्तविक चिंता का कारण बन गई है। विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के सामने, बहुपक्षीय प्रणाली विफल होती दिख रही है। वैश्विक व्यापार प्रणाली खुले, गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। भारत का मानना है कि इसकी रक्षा की जानी चाहिए।
डॉक्टर एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना कहा कि बाधाएं बढ़ाने और लेन-देन को मुश्किल बनाने से कोई मदद नहीं मिलेगी। व्यापार को गैर व्यापारिक गतिविधियों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। व्यापार को हमेशा सुगम बनाना चाहिए। देशों को अपने आर्थिक सिस्टम को मजबूत बनाने और वैश्विक ट्रेड, निवेश और विकास में सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिक्स अपने सदस्य देशों के बीच व्यापार प्रवाह की समीक्षा करके एक मिसाल कायम कर सकता है। जहां तक भारत का सवाल है, हमारे कुछ सबसे बड़े घाटे ब्रिक्स भागीदारों के साथ हैं और हम शीघ्र समाधान के लिए दबाव बना रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह अहसास आज की बैठक के निष्कर्षों का हिस्सा होगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमें सिर्फ आर्थिक मसलों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि लगातार जारी संघर्ष और सुरक्षा चुनौतियों पर भी नजर रखनी होगी। उनके बयान से लग रहा था कि शायद वे रूस और यूक्रेन को संदेश देने की कोशिश कर रहे हों। एस जयशंकर ने नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि इसे संरक्षित और पोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने सतत व्यापार सुनिश्चित करने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।