नई दिल्ली (नेहा): एलन मस्क की इंटरनेट कंपनी Starlink भारत में अपनी एंट्री के और करीब पहुंच गई है। अब उसे भारत सरकार से ट्रायल के लिए जरूरी मंजूरी मिल गई है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने Starlink को प्रोविजनल स्पेक्ट्रम क्लीयरेंस दे दिया है, जिससे कंपनी भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस की टेस्टिंग शुरू कर सकेगी। यह फैसला Starlink को भारत में कमर्शियल लॉन्च के रास्ते पर एक बड़ा बढ़ावा देता है।
अब जब Starlink को ट्रायल स्पेक्ट्रम मिल गया है, तो कंपनी भारत में ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुटेगी। इसमें वो खास बेस स्टेशन बनाएगी, जो सैटेलाइट से सिग्नल लेकर इंटरनेट को आगे पहुंचाएंगे। Starlink की योजना है कि वह 10 जगहों पर ये स्टेशन बनाए और इनमें मुंबई को मुख्य केंद्र (हब) के तौर पर तैयार किया जाएगा। हालांकि, कंपनी या सरकार की ओर से इसके बारे में ऑफिशियल तौर पर कोई भी जानकारी नहीं दी गई है।
Starlink सिर्फ स्टेशन ही नहीं बना रही, बल्कि इसके लिए जरूरी टूल्स और हार्डवेयर भी बाहर से मंगवाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी ने इंपोर्ट लाइसेंस के लिए आवेदन दिया है। दिलचस्प बात ये है कि Starlink ने मुंबई में जो गेटवे बनाएगी, उसे खुद नहीं बनाएगी। इस काम को उसने Equinix नाम की कंपनी को सौंपा है, जो डेटा सेंटर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में एक्सपर्ट मानी जाती है। Starlink को भारत में काम करने के लिए हाल ही में GMPCS (ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट) लाइसेंस भी मिल चुका है। यह लाइसेंस तभी दिया जाता है जब कंपनी सभी सुरक्षा नियमों और शर्तों को पूरा कर देती है। Starlink ने अपनी लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) के तहत ये सारे नियम मान लिए थे, इसलिए उसे यह लाइसेंस दिया गया है।