नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई हुई। कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई में केंद्र और कई एनजीओ की दलीलें सुनी और उसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 8 हफ्तों में दिल्ली की सड़कों से आवारा कुत्ते हटाने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया था।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम इस मुद्दे का समाधान चाहते हैं , न कि इस पर विवाद होना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता और हम भी इसका हल चाहते हैं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन सदसीय पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। जस्टिस नाथ ने आगे कहा कि स्थानीय अधिकारी वह नहीं कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए। उन्हें यहां जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हस्तक्षेप दर्ज कराने आए हर व्यक्ति को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
एमसीडी की तरफ से पाठक दवे ने कहा कि हम आपके हर आदेश को मानते हैं। उसका पालन करने के लिए यहां हैं। इस पर जज ने कहा कि यहां आपको कहने के लिए कुछ नहीं है। यह समस्या नगर निगम की निष्क्रियता के कारण ही हो रही है। आवारा कुत्तों के मामले में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी 11 अगस्त के उस आदेश का विरोध किया, जिसमें अधिकारियों को आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में रखने का निर्देश दिया गया था।
उन्होंने कहा कि कुत्तों के काटने की घटनाएं तो होती हैं, लेकिन इस साल दिल्ली में रेबीज से एक भी मौत नहीं हुई। बेशक, कुत्तों का काटना बुरा है, लेकिन आप इस तरह की भयावह स्थिति पैदा नहीं कर सकते।ॉ सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि ये मामला बड़ा है और इसे अभी सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस आदेश पर रोक लगनी चाहिए।