नई दिल्ली (नेहा): भारत सरकार ने अवैध रूप से देश में रह रहे विदेशी नागरिकों और इमीग्रेशन से जुड़े मामलों पर सख्ती दिखाते हुए इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट, 2025 को 1 सितंबर से लागू कर दिया है। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने सोमवार को नोटिफिकेशन जारी किया। यह बिल संसद के बजट सत्र के दौरान पारित हुआ था और 4 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी थी। अब यह कानून पूरे देश में लागू हो चुका है और इसके तहत भारत में प्रवेश करने, रुकने या बाहर जाने के लिए फर्जी पासपोर्ट या वीजा का इस्तेमाल करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी।
ऐसे मामलों में अधिकतम 7 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, न्यूनतम सजा 2 साल की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना तय किया गया है। कानून यह भी कहता है कि अगर कोई विदेशी नागरिक बिना वैध पासपोर्ट या ट्रैवल डॉक्यूमेंट, जैसे बिना वीजा के भारत में दाखिल होता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। इस स्थिति में उसे 5 साल तक की जेल, 5 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों दंड मिल सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक देश ऐसा भी है, जहां पर अवैध घुसपैठ के लिए कोड़े मारने की सजा मिलती है। चलिए जानें।
मलेशिया उन देशों में से एक है, जहां पर अवैध रूप से घुसपैठ करने या बिना वैध वीजा के रहने वालों को बेहद सख्त सजा दी जाती है। यहां का इमिग्रेशन एक्ट 1959/63 साफ तौर पर कहता है कि अगर कोई विदेशी व्यक्ति बिना अनुमति देश में प्रवेश करता है, तो उसे जेल के साथ-साथ कोड़े मारने की सजा भी हो सकती है। कानून के अनुसार अवैध प्रवेश करने वालों पर 10,000 रिंगिट तक जुर्माना, पांच साल तक की जेल और अधिकतम छह कोड़े मारे जाने का प्रावधान है। कई मामलों में यह सजा जुर्माने और जेल दोनों के साथ दी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कानून की कड़ी आलोचना की है. एमनेस्टी का कहना है कि मलेशिया में कोड़े मारने की सजा अब व्यवस्थित रूप से लागू की जाने वाली यातना बन चुकी है। संगठन की रिपोर्ट बताती हैं कि 2002 से 2008 के बीच करीब 35 हजार विदेशी नागरिकों को इमिग्रेशन उल्लंघनों के लिए कोड़े मारे गए, जिनमें सबसे अधिक संख्या इंडोनेशिया के लोगों की थी। इस सजा के लिए मलेशियाई सरकार का तर्क है कि यह सख्ती अवैध घुसपैठ को रोकने और देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है।
दरअसल मलेशिया में लाखों विदेशी नागरिक नौकरी की तलाश में आते हैं और उनमें से कई बिना वैध दस्तावेजों के देश में दाखिल हो जाते हैं। सरकार का दावा है कि कड़े कानून के बिना इस समस्या पर काबू पाना मुश्किल है। यही वजह है कि मलेशिया को एशिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उन देशों की सूची में रखा जाता है, जहां अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सबसे कठोर कार्रवाई होती है।