नई दिल्ली (नेहा): अक्सर जो लोग हकलाकर या तुतलाकर बोलते हैं, उनकी बात आसानी से समझ नहीं आती है। वे क्या कह रहे हैं, यह पता नहीं लग पाता है। लेकिन तकनीक के जमाने में हर चीज को समझना आसान होता जा रहा है। अब तो ऐसे डिवाइस भी बनाए जा रहे हैं, जो पेट्स की बात भी आप तक पहुंचा सकते हैं। लिहाजा, इंसानों की बात तो आप तक पहुंच ही सकती है। एक ऐसा डिवाइस सामने आया है, जो हकलाकर या तुतलाकर बोलने वाले लोगों की बात को स्पष्ट और साफ शब्दों में सामने रख सकता है। चलिए, जानते हैं कि AI से लैस यह डिवाइस कैसे काम करता है और इसकी कीमत कितनी रखी गई है?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, गुड़गांव की एक स्कूल के 11वीं क्लास के छात्र ने AI से लैस ऐसा डिवाइस बनाया है, जो बोलने में दिक्कत महसूस करने वाले लोगों की बात को आसानी से आगे पहुंचा सकता है। इसे बनाने वाले छात्र की उम्र मात्र 16 साल है। डिवाइस का नाम ‘पैरास्पीक’ रखा गया है। यह खासकर भारतीय भाषा हिंदी को कैप्चर कर उसे आसानी से साफ शब्दों में सामने रख देता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसे बनाने वाला 16 वर्षीय लड़का एक पैरालिसिस केयर सेंटर गया था। यहां उसने देखा कि मरीज अपनी बात कहना तो चाहते हैं, लेकिन पार्किंसंस, सेरेब्रल पाल्सी या स्ट्रोक जैसी बीमारियों के कारण वे स्पष्ट नहीं बोल पा रहे हैं। यहां से उसे ऐसा डिवाइस बनाने का आइडिया आया, जो इनकी बात भी सामने रख सकता है।
पैरास्पीक एक AI बेस्ड डिवाइस है। यह अस्पष्ट और टूटी-फूटी आवाज को समझकर उसे स्पष्ट हिंदी में बदल देता है। यह डिवाइस रियल टाइम में काम करता है। बोलने वाला जो बोलता है, उसे तुरंत साफ और समझने योग्य भाषा में सुना देता है। यह कम डेटा के साथ भी काम करता है, क्योंकि हिंदी में ऐसी आवाज का डेटा बहुत कम ही उपलब्ध है। पैरास्पीक डिवाइस की कीमत बहुत कम रखी गई है। इसकी प्राइस सिर्फ 2000 रुपये है। फिलहाल इस डिवाइस को और बेहतर बनाने पर प्रयास हो रहे हैं, ताकि यह हिंदी के अलावा बाकी भारतीय भाषाओं को भी कैप्चर कर सामने रख सके। इस डिवाइस को इतना छोटा और पोर्टेबल बनाने की प्रक्रिया पर फोकस किया जा रहा है कि इसे आसानी से जेब में भी कैरी किया जा सके।