नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली में अफगानिस्तानी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की प्रेंस कांफ्रेंस से महिला पत्रकारों को दूर रखने जाने वाले विवाद पर तालिबान ने सफाई दी है। तालिबान की ओर से कहा गया है कि जो कुछ हुआ, वह ‘अनजाने’ में हुआ और उनकी ऐसी कोई नीति नहीं है कि महिलाओं को नहीं बुलाया जाए। जब से यह खबर सामने आई है, देश में इसपर काफी विवाद हो रहा है और विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार को घेरने में लगी हुई हैं। तालिबान के प्रवक्ता का कहना है कि यह एक तकनीकि मामला है और इसे उसी तरह से देखा जाना चाहिए। जबकि, विदेश मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि उस प्रेस कांफ्रेंस से उसका कोई लेना-देना नहीं है।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अपनी सफाई में कहा,’महिलाओं के खिलाफ भेदभाव वाली कोई नीति नहीं है। पास की संख्या सीमित थी, कुछ को मिला, कुछ को नहीं मिला। यह एक तकनीकी मामला था और इसे नीतिगत मुद्दे की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।’ तालिबान प्रवक्ता का कहना है, ‘ऐसा कुछ भी नहीं है कि महिलाओं को ब्रीफिंग से जानबूझकर बाहर रखा गया। कई पुरुष पत्रकार भी हैं, जिन्हें ब्रीफिंग के लिए पास उपलब्ध नहीं हो पाया।’ सुहैल ने यहां तक कहा है कि काबुल में महिला पत्रकारों से मुत्तकी अपने दफ्तर में मिलते रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘काबुल में मुत्तकी महिलाओं से अपने दफ्तर में लगातार मिलते रहते हैं। मैं भी महिला पत्रकारों को इंटरव्यू देता हूं।’
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि भविष्य में भारत यात्रा के दौरान महिला पत्रकारों को भी प्रेस वार्ताओं में बुलाया जाएगा। लेकिन, इसके लिए जरूरी होगा कि दोनों प्रतिनिधिमंडलों में अच्छी तरह से तालमेल हो और किसी भी विवाद से बचने के लिए मीडिया के प्रतिनिधियों को पहले से ही सूचना दे दी जाए। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा कि मुत्तकी की प्रेस कांफ्रेंस में उसकी ‘कोई भूमिका नहीं थी’। प्रेस मीट के लिए चुने हुए पत्रकारों को मुंबई स्थित अफगानिस्तान के काउंसल जनरल की ओर से बुलावा भेजा गया, जो अफगानी मंत्री की यात्रा के सिलसिले में दिल्ली में थे। अफगान दूतावास का क्षेत्र भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।