पेरिस (नेहा): फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को बड़ा झटका लगा, जब सोमवार को फ्रांस की सांसद में हुए विश्वास मत के दौरान प्रधानमंत्री फांस्वा बायरू की सरकार गिर गई। बायरू की सरकार विश्वास मत हासिल करने में नाकाम नहीं। सरकार के पक्ष में 194, जबकि विरोध में 364 वोट पड़े। अब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को 12 महीने में चौथी बार नया प्रधानमंत्री तलाश करना होगा। मैक्रों के लंबे समय से राजनीतिक सहयोगी फ्रांस्वा बायरू को पिछले साल दिसम्बर में ही बायरू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। सरकार गिरने के बाद बायरू को मैक्रों को इस्तीफा सौंपना होगा।
फ्रांस्वा बायरू ने खुद ही विश्वास मत का प्रस्ताव संसद में पेश किया था। उन्होंने मतदान से पहले सार्वजनिक खर्च में कटौती और फ्रांस के बढ़ते कर्ज को कम करने के उनके प्रयासों का समर्थन करने की अपील की थी। इसके बजाय वामपंथी और अति-दक्षिणपंथी दोनों राजनीतिक विरोधियों ने इस मौके का इस्तेमाल सरकार को गिराने के लिए किया। नेशनल असेंबली में दिए गए भाषण में बायरू इस बात पर अड़े रहे कि फ्रांस का बढ़ता सार्वजनिक घाटा और बढ़ता कर्ज इसके भविष्य के लिए खतरा है।
बायरू की सरकार गिरने के बाद फ्रांस में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। मतदान के तुरंत बाद धुर-वामपंथी फ्रांस अनबोड पार्टी की प्रमुख मैटिल्ड पैनोट ने राष्ट्रपति मैक्रों के इस्तीफे की मांग कर डाली। पनोट ने कहा, हम एक और प्रधानमंत्री नहीं चाहते जो उसी नीति पर कायम रहे। अब असली सवाल राष्ट्रपति के जाने का है, जो जनता की इच्छा का सम्मान करने से इनकार करता है।
प्रमुख विपक्षी पार्टी की मांग के मैक्रों पर दबाव बढ़ गया है, जिन्होंने 12 महीने से भी कम समय में तीन प्रधानमंत्रियों को सत्ता से जाते हुए देखा है। ताजा संकट जून 2024 में शुरू हुआ था, जब मैक्रों ने मजबूत जनादेश पानी की उम्मीद में नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। हालांकि, चुनाव में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। वहीं, अति-वापमंथी और अति-दक्षिणपंथी दोनों दल मजबूत होकर उभरे। इसके बाद से ही मैक्रों की मध्यमार्गी सरकार मुश्किल दौर से गुजर रही है। इस बीच बजट में कटौती और विश्वास मत पर बायरू के दांव के साथ विरोधियों को एक साझा आधार मिल गया।