रोपड़ (पायल): गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहीदी जयंती के अवसर पर आनंदपुर साहिब सहित देशभर में जहां स्मृति कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, वहीं प्रसिद्ध चित्रकार सोभा सिंह द्वारा बनाया गया नौवें सिख गुरु का चित्र एक बार फिर चर्चा में है। असम से लेकर पंजाब तक सरकारी विभागों, सांस्कृतिक संस्थाओं और प्रमुख सिख धार्मिक संगठनों ने इस ऐतिहासिक अवसर पर इस छवि को प्रमुखता दी है।
बता दे कि 1975 में निर्मित और हिमाचल प्रदेश के अंद्रेटा स्थित सोभा सिंह आर्ट गैलरी में स्थापित यह पेंटिंग, गुरु तेग बहादुर की सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त पेंटिंग है। महान चित्रकार के पोते हिरदै पाल सिंह ने कहा कि सोभा सिंह ने असाधारण समर्पण और विस्तार के साथ इस चित्र को बनाया है। उन्होंने कहा, ”कैनवास पर अपना ब्रश उतारने से पहले उन्होंने (शोभा सिंह) ऐतिहासिक और अकादमिक स्रोतों का गहराई से अध्ययन किया।”
सोभा सिंह ने एसजीपीसी, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, पंजाबी विश्वविद्यालय के प्रकाशनों और विशेष रूप से त्रिलोचन सिंह द्वारा लिखित गुरु तेग बहादुर जी की प्रामाणिक जीवनी से प्रेरणा ली। इस पेंटिंग का प्रत्येक तत्व वर्षों के शोध और आध्यात्मिक चिंतन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इस तस्वीर में कई प्रतीक हैं। ध्यानमग्न गुरु के सामने तलवार की मूठ के पास रखी नौ मोमबत्ती जैसी लपटें गुरु नानक देव से लेकर गुरु तेग बहादुर तक आध्यात्मिक चिंतन की अटूट श्रृंखला में लीन नौ गुरुओं की आध्यात्मिक निरंतरता का प्रतिनिधित्व करती हैं।
जिस संबंध में उन्होंने कहा कि तलवार स्वयं गुरु गोबिंद सिंह का प्रतीक है, गुरु तेग बहादुर की 300वीं शहादत दिवस के अवसर पर इस छवि के 25 हजार से अधिक प्रिंट तैयार किए गए थे और दुनिया भर के सिख परिवार आज भी इसकी मूल प्रतियां रखते हैं।
हिरदै पाल सिंह ने वर्तमान स्मरणोत्सव समारोहों के दौरान तस्वीर की अनधिकृत प्रतियों के बड़े पैमाने पर उपयोग पर चिंता व्यक्त की और कहा कि कई प्रचार विभाग, आयोजक और एजेंसियों ने बिना अनुमति के छवि को दोबारा छापा है, अक्सर छवि से कलाकार का नाम हटा दिया है। उन्होंने कहा, “नैतिकता और कानून की मांग है कि विश्व-प्रसिद्ध कलाकार की कलाकृति की प्रति बनाते समय उचित श्रेय दिया जाए।”


