फुनाफुति (राघव): प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश तुवालु की पूरी आबादी ऑस्ट्रेलिया में शिफ्ट हो रही है। ये दुनिया के इतिहास की अपनी तरह की पहली घटना है, जब एक देश के लोग पूरे प्लन और वीजा के जरिए दूसरे देश में माइग्रेट कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तुवालू बढ़ते समुद्र स्तर के कारण जलमग्न होने के कगार पर है। ऐसे में तुवालू ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक समझौता किया है, जो उसके नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में बसने का मौका मिलता है।
कई रिसर्च से पता चलता है कि 25 वर्षों के भीतर तुवालु की ज्यादातर जमीन भूमि जलमग्न हो जाएगी। तुवालु में नौ प्रवाल द्वीप और प्रवाल द्वीप हैं। यहां रहने वाले लोगों की आबादी करीब 11,000 है। इस देश की समुद्र तल से ऊंचाई मात्र 16 फीट है। यह इस देश को जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे अधिक खतरे वाले देशों में से एक बनाता है। ऐसे में इस देश के लोगों को जीवित रहने के लिए पलायन करना पड़ रहा है।
वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि अगले 80 सालों में तुवालू पूरी तरह निर्जन हो जाएगा। द्वीपसमूह के नौ प्रवाल द्वीपों में से दो पहले ही जलमग्न हो चुके हैं। नासा की समुद्र स्तर परिवर्तन टीम के अनुसार, 2023 में तुवालु में समुद्र का स्तर पिछले 30 वर्षों की तुलना में 15 सेमी ज्यादा था। इस दर से 2050 तक देश की अधिकांश भूमि और बुनियादी ढांचा जलमग्न हो जाएगा। 80 साल में यहां पूरी तरह पानी ही पानी होगा।
इस खतरे को देखते हुए तुवालु और ऑस्ट्रेलिया ने 2023 में फलेपिली संघ संधि पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत हर साल 280 तुवालुवासियों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास मिलेगा। इसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और नौकरियों के पूर्ण अधिकार शामिल होंगे। इसके लिए आवेदन करने के कुछ चरण पूरे होो चुके हैं।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा है कि प्रवासन कार्यक्रम तुवालुवासियों को सम्मान के साथ बसने की अनुमति देगा। यूएनएसडब्ल्यू सिडनी के काल्डोर सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिफ्यूजी लॉ की जेन मैकएडम ने कहा है कि एक दशक के भीतर 40 प्रतिशत आबादी स्थानांतरित हो चुकी होगी। तुवालू सरकार ने वैश्विक समुदाय से इस पर ध्यान देने के लिए कहा है।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा है कि प्रवासन कार्यक्रम तुवालुवासियों को सम्मान के साथ बसने की अनुमति देगा। यूएनएसडब्ल्यू सिडनी के काल्डोर सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिफ्यूजी लॉ की जेन मैकएडम ने कहा है कि एक दशक के भीतर 40 प्रतिशत आबादी स्थानांतरित हो चुकी होगी। तुवालू सरकार ने वैश्विक समुदाय से इस पर ध्यान देने के लिए कहा है।