नई दिल्ली (नेहा): इंसान जमीन पर रहने वाला जानवर है. उसे सांस लेने के लिए हवा चाहिए, पीने के लिए पानी चाहिए। बिना पानी क वह कई घंटों तक तो रह सकता है, लेकिन वह बिना हवा, यानी ऑक्सीजन वाली हवा, के वह चंद मिनट ही जिंदा रह सकता है। यही कारण है कि वह पानी में भी ज्यादा देर गोता लगाए बिना नहीं रह सकता है। पर आखिर इंसान कितनी देर अपनी सांस रोक कर रह सकता है? हाल ही में क्रोएशिया के फ्रीडाइवर विटोमिर मारिचिक ने पानी के अंदर 29 मिनट 3 सेकंड तक सांस रोककर नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया, जो पिछले रिकॉर्ड से करीब 5 मिनट ज्यादा है।
फ्रीडाइवर्स विशेष शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण जैसे डायाफ्रामिक ब्रीदिंग, कार्डियो एक्सरसाइज और मेडिटेशन के जरिए इस तरह की असंभव लगने वाली उपलब्धियां हासिल करते हैं। यह रिकॉर्ड इंसानी क्षमता और मानसिक अनुशासन का अद्भुत उदाहरण है। मारिचिक का कहना है कि सिकुड़न की वजह से उनके शरीर की हालत खराब होती जा रही थी। लेकिन वे मानसिक तौर पर जानते थे कि वे हार मानने वाले नहीं हैं। 20 मिनट के बाद उनके लिए यह जंग आसान हो गई थी।
शरीर के लिए देर तक सांस रोक कर रखना आसान काम नहीं है। आपके खून में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगता है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है। एक स्तर के बाद आपका शरीर आपके डायफग्राम को सिकोड़ने लगता है। यह वह प्रमुख मांसपेशी होती है जो सांस लेने की प्रक्रिया में दोबारा सांस लेने के लिए सक्रिय और निष्क्रिय होती है। जब एक मनोवैज्ञानिक बिंदु पहुंचता है, तो डायफग्राम सिकुड़ने लगात है और सांस लेने के लिए मजूबर करता है, जो पानी के अंदर जानलेवा हो सकता है।