माले (नेहा): तुर्की ने मालदीव को सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धपोत सौंपा है। इसके साथ ही तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के हिंद महासागर की साजिश का बड़ा खुलासा हो गया है। तुर्की ने युद्धपोत, जिसका नाम ‘धरुमावंथा’ रखा गया है, वो हिंद महासागर में तुर्की की नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक ये युद्धपोत काफी तेज रफ्तार से हमला करने की क्षमता रखता है। मालदीव की राजधानी माले के नजदीक हुलहुमाले क्षेत्र में शुक्रवार रात आयोजित एक समारोह के दौरान राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू, रक्षा मंत्री गस्सान मौमून और तुर्की नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इस पोत को कमीशन किया गया है।
इस दौरान मालदीव के रक्षा मंत्री गस्सान मौमून ने अपने संबोधन में कहा कि ये युद्धपोत, मालदीव की नौसैनिक क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने 1980 में कोस्टगार्ड की स्थापना से अब तक हुई डेवलपमेंट का भी जिक्र किया और उन सभी को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस बेड़े को मजबूत बनाने में योगदान दिया। मालदीव के रक्षा प्रमुख इब्राहीम हिल्मी ने भी कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू का वादा धीरे-धीरे पूरा हो रहा है और यह पोत तट रक्षक की क्षमताओं में कई गुना इजाफा करेगा।
आपको बता दें कि ‘धरुमावंथा’ नाम का ये युद्धपोत, असल में टीसीजी वोलकान (P-343) है, जिसे 1981 में तुर्की नौसेना में शामिल किया गया था। चार दशक से ज्यादा समय तक यह जहाज तुर्की की समुद्री शक्ति का अहम हिस्सा रहा और बाद में इसे प्रशिक्षण और परीक्षण पोत के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। जर्मन शिपबिल्डर लुर्सेन वर्फ्ट द्वारा बनाए गए इस डोगन-क्लास जहाज ने 20वीं सदी के अंत में तुर्की की नौसैनिक ताकत को नया आयाम दिया था। ये युद्धपोत इसलिए भी अहम है, क्योंकि तुर्की ने इसमें हरपून एंटी-शिप मिसाइलों का इस्तेमाल किया है।
यह युद्धपोत 58 मीटर लंबा और 7.6 मीटर चौड़ा है। इसका पूरा लोड 436 टन तक होता है और इसमें चार डीजल इंजन लगे हैं जो 12,000 हॉर्सपावर की ताकत देते हैं। इसकी रफ्तार 38 नॉट्स (करीब 70 किमी/घंटा) तक पहुंच सकती है और यह 1,050 नॉटिकल मील (करीब 1,940 किमी) की दूरी तय कर सकता है। इसमें 45 सैनिकों का दल तैनात होगा। हथियारों में दो हरपून एंटी-शिप मिसाइल, 76 मिमी का ओटो मेलारा नौसैनिक तोप, 35 मिमी एयर डिफेंस गन और मशीनगनें शामिल हैं। तुर्की लगातार हिंद महासागर में भारत को काउंटर करने के लिए भारत के पड़ोसी देशों के साथ डिफेंस डील कर रहा है और मालदीव को युद्धपोत सौंपना, एर्दोगन की इसी स्ट्रैटजी का हिस्सा है।