वॉशिंगटन (नेहा): अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों पर निशाना साधा है। उन्होंने एक तीखा बयान देते हुए कहा कि “जो भी देश ब्रिक्स की “एंटी-अमेरिकन” नीतियों के साथ खड़ा होगा, उस पर अमेरिका 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा।” ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति की दिशा में नई हलचल पैदा कर दी है, खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं। आपको बता दें कि ब्रिक्स शिखर सम्मलेन का आयोजन ब्राजील में किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिस्सा लिया है।
ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर “पश्चिम विरोधी” छवि भी चिपक गई है। डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को ‘एंटी अमेरिका’ मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।
ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ट्रंप पहले भी ब्रिक्स द्वारा प्रस्तावित एक वैकल्पिक मुद्रा व्यवस्था का खुलकर विरोध कर चुके हैं। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे? भारत फिलहाल अमेरिका के साथ QUAD, I2U2, और कई रक्षा और तकनीकी साझेदारियों का हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर ब्रिक्स के भीतर भारत वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत को ब्रिक्स में अपनी भूमिका साफ करनी चाहिए और अमेरिका के सामने ये साफ करना चाहिए कि वो एक स्वतंत्र देश है और किसी भी देश की या किसी भी गुट की कठपुतली नहीं है। साथ ही भारत को यह संदेश भी देना चाहिए कि ब्रिक्स मंच का उपयोग वह वैश्विक असमानताओं के समाधान के लिए करता है, न कि अमेरिका विरोध के लिए। लेकिन ट्रंप के सामने इन चीजों को साफ करना उतना आसान नहीं है। क्योंकि उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा है कि “इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर ध्यान देने के लिए आपका धन्यवाद।” माना जा रहा है कि ये ‘अपवाद’ शब्द भारत के लिए था।