किसान समुदाय के आंदोलन में एक नया मोड़ आया है। पंजाब से दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों ने 13 फरवरी को अपने प्रदर्शन को एक दिन के लिए रोकने का निर्णय लिया है। इस विराम का कारण शाम होना बताया गया है, लेकिन किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के अनुसार, यह रुकावट अस्थायी है। उनका कहना है कि जब तक केंद्र सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की निर्णायक लड़ाई
आंदोलन के इस नए चरण में किसान संघर्ष को नई ऊर्जा मिली है। शंभू बॉर्डर पर पुलिस द्वारा रबर की गोलियां चलाने और खनौरी बॉर्डर पर लाठीचार्ज की घटनाओं ने किसानों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। ये घटनाएँ न केवल सरकार के प्रति नाराजगी को दर्शाती हैं बल्कि आंदोलन की गंभीरता को भी प्रकट करती हैं।
किसान समुदाय का कहना है कि उनका यह संघर्ष केवल अपने हक की लड़ाई है। वे अपने मूल अधिकारों के लिए खड़े हैं और जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। इस दृढ़ संकल्प के साथ, किसानों ने घोषणा की है कि वे कल फिर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
इस आंदोलन की मांगों में कृषि सुधारों की वापसी, फसलों के उचित मूल्य, और किसानों के हित में नीतियों का निर्माण शामिल हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी आवाज को अनसुना कर रही है और उनके साथ उचित वार्ता नहीं की जा रही है।
किसान आंदोलन का यह नया मोड़ न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। विश्व भर में लोग इस आंदोलन को देख रहे हैं और किसानों के संघर्ष के प्रति समर्थन व्यक्त कर रहे हैं। किसानों की यह एकता और संघर्ष उनके दृढ़ विश्वास और संकल्प को दर्शाता है।
आने वाले दिनों में इस आंदोलन का क्या परिणाम होगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि किसान समुदाय अपनी मांगों के प्रति अडिग है और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।