नई दिल्ली (राघव): जब पूरी दुनिया रूस को घेरने में जुटी है, जब 27 देशों का यूरोपीय संघ (EU) रूस की कमर तोड़ने पर आमादा है, ऐसे वक्त में एक देश है जो अपने पुराने दोस्त के साथ खड़ा है और वह है भारत। रूस पर 18वां प्रतिबंध पैकेज लगाने के बाद यूरोपीय यूनियन ने एक बार फिर यह संदेश देने की कोशिश की कि वह पुतिन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पूरी तरह अलग-थलग कर देगा। EU की साजिश साफ है रूस की ऊर्जा आय पर चोट करो, ताकि यूक्रेन के खिलाफ उसकी जंग कमजोर पड़ जाए। इस नए प्रतिबंध में न केवल रूसी तेल पर ‘मूविंग प्राइस कैप’ लगाया गया है, बल्कि भारत की वडिनार रिफाइनरी को भी टारगेट किया गया है, जो रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट के अधीन है।
भारत ने न सिर्फ इस एकतरफा फैसले की आलोचना की, बल्कि पश्चिमी देशों की दोहरी नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने EU को साफ शब्दों में जवाब देते हुए कहा, भारत एकतरफा सैंक्शनों का समर्थन नहीं करता। ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। हमारी प्राथमिकता 140 करोड़ नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा है। यानी भारत ने बता दिया है दोस्ती सिर्फ समारोहों में निभाने की चीज नहीं है। जब संकट आए, तो साथ खड़ा होना ही असली रिश्ता होता है।
यूरोपीय यूनियन और अमेरिका को इस बात से मिर्ची इसलिए लगी है क्योंकि भारत ने रूस से तेल खरीदना न सिर्फ जारी रखा, बल्कि उसे रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया। युद्ध से पहले रूस से भारत का तेल आयात लगभग शून्य था, लेकिन 2022 के बाद यह एक मिलियन बैरल प्रतिदिन से ऊपर जा चुका है। और वह भी रियायती दरों पर। यह भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए बेहद अहम है और भारत इसे लेकर किसी की डिक्टेशन नहीं लेने वाला। जब पश्चिमी देश खुद रूस से गैस और एलएनजी खरीदते हैं, तब भारत से नैतिकता की उम्मीद क्यों?
भारत का यह स्टैंड न केवल रूस के लिए राहत है, बल्कि यह पूरी दुनिया को यह दिखाता है कि भारत अपनी नीतियां दूसरों के इशारे पर नहीं चलाता। वह वैश्विक कूटनीति में अब एक मजबूर दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक खिलाड़ी है। जहां दुनिया रूस को अकेला छोड़ रही है, वहां भारत दोस्ती की असल परिभाषा गढ़ रहा है दबाव में नहीं झुकने की, भरोसे के साथ खड़े होने की। नतीजा साफ है कि भारत ने न केवल रूस को अकेलेपन से बचाया, बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि दोस्ती का मतलब क्या होता है मजबूती, भरोसा और बेबाक स्टैंड।