सोनभद्र (राघव): ओबरा तापीय परियोजना के बीटीपीएस स्विच यार्ड में लगे आईसीटी (इंटर कनेक्टिंग ट्रांसफार्मर) में गुरुवार सुबह भीषण आग लगने से अफरातफरी मच गयी। आईसीटी में आग लगने के कारण परियोजना के बीटीपीएस की उत्पादनरत दो इकाइयां ट्रिप होने से लगभग दो सौ मेगावाट से अधिक उत्पादन कम होने पर यूपी के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को आपात बिजली कटौती का सामना भी करना पड़ा।
आग लगने की खबर मिलते ही मौके पर पहुंचे सीआईएसएफ दमकल कर्मियों और आसपास की परियोजनाओं व उप्र अग्निशमन विभाग के लगभग आधा दर्जन दमकल की गाड़ियों से जवानों ने दो घंटों से अधिक समय तक कड़ी मशक्क्त के बाद आग पर काबू पा लिया। तब जाकर बिजली प्रबंधन ने राहत की सांस ली। वहीं आग लगने से बंद हुई परियोजना की दो-दो सौ मेगावाट वाली दसवीं व ग्यारहवीं इकाई से दोबारा उत्पादन शुरू करने की प्रयास शुरू कर दिया गया है। जिससे जल्द ही उत्पादन शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा आग लगने की खबर मिलने पर जिले के आलाधिकारी में मौके पर पहुंचकर परियोजना प्रबंधन से आग लगने की घटना पर जानकारी हासिल की।
गुरुवार सुबह लगभग साढ़े छह बजे ओबरा तापीय परियोजना के बीटीपीएस स्विच यार्ड में लगे आईसीटी एक व दो में भीषण आग लग गयी। आग लगने के बाद आईसीटी से निकल रहे ऊंची लपटों और काले धुंए के गुबार से आसमान काला दिखने लगा। आग लगने की खबर मिलते ही सीआईएसएफ दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पाने के लिए कड़ी मशक्क्त करना शुरू कर दिया। लेकिन आग विकराल और भयावह होने की वजह से दमकल कर्मियों को आग पर काबू पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।
आईसीटी में आग लगने की वजह से इसका असर परियोजना के उत्पादन पर भी देखने को मिला। आईसीटी में आग लगने की वजह से परियोजना की उत्पादनरत दसवीं और ग्यारहवीं इकाई ट्रिप हो गयी। वहीं घटना के सम्बन्ध में परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक इं आरके अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार सुबह आईसीटी में आग लगने की वजह से बंद हुई इकाईयों से उत्पादन शुरू करने का प्रयास जारी है। बताया कि घटना के कारणों और नुकसान का आंकलन किया जा रहा है।
ओबरा परियोजना के बीटीपीएस स्विच यार्ड में स्थित आईसीटी में लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व 13 सितम्बर 2023 को भी आग लगने की घटना हुई थी। उस दौरान भी आग लगने से परियोजना की 12वीं इकाई बंद होने से परियोजना के उत्पादन में जबरदस्त गिरावट दर्ज होने से यूपी के अलग-अलग हिस्सों में आपात बिजली कटौती करनी पड़ी थी। जिसके बाद परियोजना प्रबंधन ने अतिरिक्त आईसीटी की मदद से बिजली उत्पादन बहाल कर लिया था।