नई दिल्ली (नेहा): पूरी दुनिया फायदे और नुकसान पर चल रही है। लेकिन जापान के रेलवे ने कुछ ऐसा किया है, जो हर इंसान के लिए एक प्रेरणा और मिसाल बन गई है। जापान के होक्काइदो द्वीप पर बने क्यू-शिराताकी स्टेशन की इस कहानी ने हर किसी को इमोशनल कर दिया है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि साल 2016 तक इस स्टेशन को सिर्फ एक पढ़ने वाली लड़की के लिए चालू रखा गया। यह रेलवे स्टेशन स्कूल जाने वाली छात्रा के सपनों और उसकी पढ़ाई तक पहुंचने की उम्मीद की डोर था।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सवारी की कमी और मालगाड़ी सेवाओं के खत्म होने के बाद जापान रेलवे ने इस स्टेशन को बंद करने की तैयारी कर ली थी। बेहद कम यात्री हो चुके थे और यह स्थान करीब सुनसान हो चुका था। हालांकि, अधिकारियों को जानकारी मिली कि इस क्षेत्र की स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए यह स्टेशन बेहद अहम है, उन्होंने अपना निर्णय बदल दिया। यह स्टेशन एक स्कूल जाने वाली लड़की जिसका नाम काना हराडा है, उसके जीवनरेखा साबित हुई।
कई वर्षों तक यह स्टेशन चालू रहा है और ट्रेन सिर्फ एक छात्रा के लिए रुकती थी, ताकि वह स्कूल जा सके। यहां पर दिन में ट्रेन सिर्फ दो बार ही रुकती थी। एक बार उसे स्कूल छोड़ने और दूसरी बार स्कूल खत्म होने के बाद वापस लाने के लिए। अगर इस स्टेशन को जापान रेलवे बंद कर देता, चो काना को स्कूल जाने के लिए 70 मिनट से ज्यादा चलकर दूसरी पकड़नी पड़ती। इस स्टेशन से होकर सिर्फ चार ट्रेनें जाती थीं जिनमें सिर्फ दो उसके स्कूल के समय के अनुरूप थीं।
लड़की के जीवन उसकी भागदौड़ का असर साफ दिखा, क्योंकि वह स्कूल के बाद दूसरी अतिरिक्त गतिविधियों में भाग नहीं ले सकती थी, क्योंकि ट्रेनें सीमित थीं। कई बार हो क्लास खत्म होने के बाद दौड़कर ट्रंन पकड़ती थी। फिर भी यह स्टेशन शिक्षा हासिल करने का उसका भरोसेमंद साधन रहा।
मार्च 2016 में जब काना ने स्नातक कर लिया और शैक्षणिक साल खत्म हो गया, तो क्यू-शिराताकी स्टेशन को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। उस समय कहानी सामने आई और सुर्खियों में छा गई। जापान रेलवे ने साबित कर दिया कि ट्रेन सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की जरूरतों और उम्मीदों के लिए भी है।