नई दिल्ली (नेहा): चीन में डिप्लोमेसी का तो चैप्टर हो गया, अब बारी है शक्ति प्रदर्शन की, पश्चिमी देशों को अपनी ताकत दिखाने की… हां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन के बाद अब चीन में कुछ ऐसा बड़ा होने वाला है, जैसा उस पैमाने का कभी देखा नहीं गया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 3 सितंबर को अपने देश के इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य परेड की मेजबानी करने वाले हैं। मंच पर एक साथ शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और ऐसे 20 नेता और होंगे। चीन अपनी सेना दिखा रहा होगा, अपने जंगी हथियार दिखा रहा होगा। पश्चिम को मैसेज साफ दिया जाएगा… गहरी भू-राजनीतिक अनिश्चितता के इस दौर में वर्ल्ड ऑर्डर को बदले के लिए चीन तैयार है और उसकी नजर अमेरिका की कुर्सी पर है।
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान की हार के 80 साल पूरे होने के अवसर पर चीन में 3 सितंबर को “विजय दिवस” कार्यक्रम है और इसी मौके पर “विजय दिवस परेड” बीजिंग में आयोजित किया जा रहा है। व्लादिमीर पुतिन पहले से ही SCO शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन में हैं जबकि किम जोंग अपने स्पेशल ट्रेन से चीन पहुंच गए हैं। इस परेड को हाई लेबल पर कोरियोग्राफ किया गया है। इसके पिछले कुछ वर्षों में चीन की सबसे बड़ी परेडों में से एक होने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य यही है कि जब ट्रंप के नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमेरिका की वैश्विक भूमिका पर संदेह पैदा हो रहा है तब चीन की सैन्य ताकत और राजनयिक दबदबे को दुनिया के सामने दिखाना। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विदेशी सहायता में कटौती कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों-संगठनों से पीछे हट रहे हैं और चाहे दोस्त हो या दुश्मन, सबके खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ रखा हैं. चीन इस मौके को भूनाने की फिराक में है।
बीजिंग में हजारों चीनी सैनिक मार्च कर रहे होंगे। फाइटर जेट, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और हाइपरसोनिक हथियारों जैसे अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन हो रहा होगा और मंच पर पहली बार एक साथ तीन दबंग खड़े होंगे… जिनपिंग, पुतिन और किम जोंग. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये तीनों जब एक साथ खड़े होंगे तो मैसेज जाएगा कि कोई नया “उथल-पुथल करने वाली धुरी” बन के तैयार है।
थॉमस ने कहा कि 2015 की पिछली परेड की तुलना में इस साल की परेड में भाग लेने वाले मध्य एशियाई, पश्चिम एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के नेताओं की संख्या में वृद्धि क्षेत्रीय कूटनीति में बीजिंग की प्रगति को उजागर करती है। स्लोवाकिया के प्रधान मंत्री रॉबर्ट फिको और सर्बिया के अलेक्जेंडर वुसिक, दोनों यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस पर प्रतिबंधों के आलोचक हैं, इसमें भाग लेने वाले एकमात्र पश्चिमी नेता होंगे।