वॉशिंगटन (नेहा): अमेरिकी सेना में सिखों के लिए काम करने वाले समूह सिख गठबंधन ने कहा है कि वह अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के दाढ़ी बैन करने के आदेश को लेकर नाराज और बेहद चिंतित है। अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने ग्रूमिंग स्टैंडर्ड को लागू किया है, जिसके तहत मुसलमानों, सिखों और रूढ़िवादी यहूदियों के दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। रक्षा मंत्री के इस आदेश के मुताबिक अब अमेरिकी सशस्त्र बलों के सभी अंगों को “2010 से पहले के स्टैंडर्ड” पर लौटना होगा, जिसमें दाढ़ी सिर्फ दुर्लभ मेडिकल या चुनिंदा धार्मिक मामलों में ही स्वीकार्य थी। इस नीति में कहा गया है कि चेहरे पर दाढ़ी नहीं रखा जा सकता है, जो सिख समुदाय और दाढ़ी रखने वाले मुस्लिमों की धार्मिक भावना के खिलाफ है।
सिख समुदाय ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले पर गहरी आपत्ति जताई है और फैसले को धार्मिक भावना के खिलाफ बताया है। सिख समुदाय का कहना है कि ये फैसला सैकड़ों दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने वाले सिख सैनिकों की पहचान, उनकी धार्मिक मान्यता को प्रभावित करता है। उनका कहना है कि सिख समुदाय के नये युवाओं के लिए अब सेना में कैरियर बनाने में धार्मिक पहचान मुश्किल बनेगी। यूएस आर्मी के एक सिख सैनिक ने ट्वीट किया है कि “मेरा केश ही मेरी पहचान है। समावेशिता के लिए वर्षों की लड़ाई के बाद यह विश्वासघात जैसा लगता है।”
धार्मिक अल्पसंख्यकों के मन ये ये डर रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के 30 सितंबर को मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में दिए गए भाषण के बाद उत्पन्न हुई हैं। इस दौरान उन्होंने 800 से ज्यादा शीर्ष सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए दाढ़ी को अमेरिकी सेना से हटाने की कसम खाई थी। रक्षा सचिव के संबोधन के ठीक बाद पेंटागन की तरफ से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें यूएस आर्मी के सभी शाखाओं को 2010 से पहले के स्टैंडर्ड पर लौटने का आदेश दिया गया है। जिसमें चेहरे पर दाढ़ी रखने पर मनाही थी। “चेहरे के बालों के कार्यान्वयन के लिए सौंदर्य मानक” शीर्षक वाले इस दस्तावेज में 60 दिनों के भीतर फैसले को लागू करने के लिए कहा गया है। जिसमें कुछ सीमित ऑपरेशंस में छूट दी गई है, लेकिन तैनाती से पहले उन्हें भी क्लीन-शेव होना आवश्यक होगा।
रक्षा सचिव हेगसेथ, जो एक पूर्व आर्मी नेशनल गार्ड अधिकारी रह चुके हैं, और जिनका रक्षा सचिव के रूप में नियुक्ति काफी विवादास्पद रही है, उन्होंने अपने भाषण में “दाढ़ी वालों” और “मोटे जनरलों” का खुलेआम मजाक उड़ाया था। इस फैसले से सिर्फ सिख समुदाय ही नहीं, बल्कि मुस्लिम और रूढ़िवादी यहूदी समुदाय भी प्रभावित हो रहे हैं और उन्होंने भी इस फैसले की सख्त आलोचना की है। पहले विश्वयुद्ध के बाद से ही अमेरिकी सेना में सिख सैनिक शामिल रहे हैं। भगत सिंह थिंड 1917 में अमेरिकी सेना में भर्ती होने वाले पहले सिख सैनिक थे, जिन्हें ड्यूटी के दौरान पगड़ी पहनने और दाढ़ी रखने की इजाजत थी। लेकिन अब दाढ़ी रखने पर रोक के बाद सिख और मुस्लिम संगठन ने चेतावनी दी है, कि यदि यह नीति लागू हुई, तो कई सैनिकों को अपने धर्म और करियर में से एक चुनने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।