नई दिल्ली (नेहा)- दिवाली के पांच दिवसीय त्योहारों में से गोवर्धन पूजा भी एक है। यह त्योहार दीपावली के अगले दिन यानी बलिप्रतिपदा को मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की बेहद लोकप्रिय लीला की याद में मनाए जाने वाले इस पर्व में श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत के प्रतीक की पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य अनुसार गोवर्धन पूजा में गोबर का विशेष महत्व है इसलिए उसे पूजा के बाद कूड़े या अपवित्र स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए। बकौल ज्योतिषाचार्य, गोबर से आंगन-छत की लिपाई करें, उपले बनाएं या उसे खेत/गमले में डालें। गोवर्धन पूजा बंद कमरे में न करें और गंदे/मैले कपड़े व जूते-चप्पल पहनकर परिक्रमा न करें।