वाशिंगटन (पायल): अमेरिका में जारी ‘शटडाउन’ के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह सरकारी विभागों में कामकाज को दोबारा चालू करने के लिए डेमोक्रेट्स के ‘‘दबाव में नहीं आएंगे।” ट्रंप ने स्पष्ट किया कि सरकारी ‘शटडाउन’ (सरकारी कामकाज के लिए वित्तपोषण की कमी) के जल्द ही छठा सप्ताह शुरू होने के बावजूद उनकी वार्ता करने की कोई योजना नहीं है। राष्ट्रपति ने रविवार को प्रसारित सीबीएस के ‘‘60 मिनट्स” कार्यक्रम में कहा कि स्वास्थ्य देखभाल सब्सिडी में विस्तार की मांग कर रहे डेमोक्रेट ‘‘अपना रास्ता भटक चुके हैं।” उन्होंने भविष्यवाणी की कि डेमोक्रेट नेता रिपब्लिकन नेताओं के सामने अंततः झुक जाएंगे। रिपब्लिकन नेताओं ने कहा है कि जब तक डेमोक्रेट सरकार को फिर से खोलने के लिए मतदान नहीं करते, तब तक वे बातचीत नहीं करेंगे।
ट्रंप ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्हें वोट देना ही होगा। अगर वे वोट नहीं देते तो यह उनकी समस्या है।” ट्रंप की टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि ‘शटडाउन’ कुछ समय तक जारी रह सकता है और हवाई यातायात नियंत्रकों सहित संघीय कर्मचारियों को संभवत: अतिरिक्त वेतन नहीं मिलेगा। इस बात को लेकर भी अनिश्चितता है कि संघीय खाद्य सहायता प्राप्त करने वाले चार करोड़ 20 लाख अमेरिकी इस सहायता का लाभ उठा पाएंगे या नहीं। सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने सरकार को फिर से खोलने के खिलाफ अब तक 13 बार मतदान किया है और इस बात पर जोर दिया है कि ट्रंप और रिपब्लिकन पहले उनके साथ ‘अफोर्डेबल केयर एक्ट सब्सिडी’ के विस्तार पर बातचीत करें, जो साल के अंत में समाप्त होने वाली है।
राष्ट्रपति ने बातचीत करने के बजाय रिपब्लिकन नेताओं से सीनेट के नियमों को बदलने और ‘फिलिबस्टर’ को खत्म करने की अपनी अपील दोहराई लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं ने इस विचार को खारिज कर दिया। उनका तर्क है कि सीनेट में किसी भी आपत्ति से निपटने के लिए 60 मतों की आवश्यकता वाला नियम संस्था के लिए महत्वपूर्ण है और इससे उन्हें अल्पमत में होने पर डेमोक्रेटिक नीतियों को रोकने की अनुमति मिलती है। ‘फिलिबस्टर’ एक संसदीय प्रक्रिया है जिसमें विधायी निकाय के एक या अधिक सदस्य प्रस्तावित कानून पर बहस को इतना लंबा खींचते हैं कि निर्णय में देरी हो जाती है या उसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। अमेरिका में सरकारी खर्चों के लिए पैसा खत्म होने के बाद संसद की ओर से एक वित्तीय पैकेज को मंजूरी दिलानी होती है। संसद की मंजूरी नहीं मिलने के बाद ‘शटडाउन’ लागू किया जाता है।


