हैम्बर्ग (पायल): बता दे कि वैश्विक स्तर पर पोलियो को समाप्त करने के लिए युद्ध स्तर पर काम हुए हैं। सभी देशों ने इसे जड़ से समाप्त करने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया है। हालांकि, अभी तक इस पर पूरी तरह सफलता नहीं मिल पाई है। कुछ क्षेत्रों ने इसमें काफी हद तक सफलता पाई थी। इस बीच जर्मनी के हैम्बर्ग में अपशिष्ट जल के एक नमूने में वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1) का पता लगाया गया है।
दरअसल, यूरोपीय संघ की एक एजेंसी, यूरोपीय रोग निवारण और नियंत्रण केंद्र (ECDC) ने अपने एक बयान में बताया कि जर्मनी ने हैम्बर्ग में अपशिष्ट जल के नमूने में जंगली पोलियो वायरस टाइप 1 (डब्ल्यूपीवी 1) का पता लगाने की सूचना दी है।
इससे पहले ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि 2024 के अंत से जर्मनी में कई स्थानों से प्राप्त अपशिष्ट जल के नमूनों में वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस टाइप 2 (सीवीडीपीवी2) पाया जा रहा है, जो ऐसे समय में एक झटका है, जब देश इस वायरस को खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं।
सीवीडीपीवी2 और डब्ल्यूपीवी1 का पता लगाना एक दूसरे से संबंधित नहीं है, लेकिन दोनों पोलियो वायरस उन लोगों में पोलियो का कारण बन सकते हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या जिनका पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ है। रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ने अपने बयान में कहा, “जर्मनी में सीवेज के एक नमूने में वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1) का पता चला है।” हालांकि राहत की बात है कि अब तक किसी भी इंसान में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है।
जर्मनी में अपशिष्ट जल के नमूने में WPV1 का पाया जाना असामान्य है, लेकिन अप्रत्याशित नहीं। बयान में कहा गया है कि जर्मनी में अपशिष्ट जल में WPV1 के पाए जाने से यूरोपीय आबादी को होने वाला जोखिम बहुत कम माना जा रहा है, क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में टीकाकरण दर आम तौर पर बहुत ऊंची है। WPV1 के जीनोम अनुक्रम से पता चला है कि यह अफगानिस्तान के एक जेनेटिक क्लस्टर से अत्यधिक मेल खाता है।
वर्तमान में WPV1 केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ही फैल रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसे इन दोनों देशों के बाहर भी पाया गया है। ईरान (2019) में पर्यावरण नमूनों में और मलावी (2021) तथा मोजाम्बिक (2022) में ये मामले मिले थे।
क्योंकि यूरोपीय संघ/ईईए देशों में पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम हैं और सभी निष्क्रिय पोलियो टीके (आईपीवी) का उपयोग करते हैं। अधिकांश यूरोपीय संघ/ईईए देशों में टीकाकरण कवरेज 90% से अधिक है। चूंकि पोलियो का विश्व स्तर पर उन्मूलन नहीं हुआ है, इसलिए यूरोप में इस विषाणु के पुनः फैलने का खतरा तब तक बना रहेगा जब तक वहां ऐसे लोग हैं जिनका पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे में लोगों को पोलियो से बचाने के लिए टीकाकरण की आवश्यकता है।
अपशिष्ट जल में पोलियो वायरस की पूर्व में हुई पहचान के बाद ईसीडीसी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकारियों के लिए सिफारिशें की हैं। सभी यूरोपीय संघ/ईईए देशों में नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल पोलियो-युक्त टीकों का समय पर प्रशासन सुनिश्चित करना, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए, ताकि समाज के सभी स्तरों पर कम से कम 90% कवरेज बनाए रखा जा सके।
यूरोपीय रोग निवारण और नियंत्रण केंद्र के बयान के अनुसार, ईसीडीसी स्थिति की निगरानी करने, मार्गदर्शन प्रदान करने और उच्च टीकाकरण स्तर बनाए रखने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा।


