सिडनी (पायल): सिडनी के बॉन्डी बीच पर रविवार को हुए भयानक हमले में एक आम नागरिक की बहादुरी ने दर्जनों जानें बचा ली। घटना के दौरान एक शूटर ने हनुक्का के जश्न में शामिल लोगों पर गोलियां चलाईं, जिससे कम से कम 15 लोग मारे गए और 29 घायल हुए, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है।
घटना के समय एक 43 वर्षीय फल विक्रेता अहमद अल अहमद पास ही से गुजर रहे थे। वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि अहमद ने बिना किसी हथियार के, अचानक शूटर की ओर दौड़ते हुए उसे पीछे से पकड़ लिया, उसकी राइफल छीनकर जमीन पर गिरा दिया और स्थिति पर काबू पाया। यह 15-सेकंड की कार्रवाई हजारों लोगों की जान बचाने में निर्णायक साबित हुई।
अहमद को हमले के दौरान दो गोली के घाव लगे, और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। उनके परिवार के एक सदस्य मुस्तफा ने कहा, “हम नहीं जानते कि अंदर क्या चल रहा है, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि वह ठीक होंगे। वह 100 प्रतिशत हीरो हैं।” अहमद की कोई पहले से हथियारों की ट्रेनिंग नहीं थी; वह सिर्फ वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने अपनी हिम्मत से इस आतंक को रोका।
पुलिस ने बताया कि यह हमला हनुक्का के पहले दिन यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किया गया। हमले में शामिल दो व्यक्ति पिता और पुत्र थे। पिता 50 वर्षीय सजिद अकराम मौके पर ही मारे गए, जबकि पुत्र 24 वर्षीय नवीद अकराम अस्पताल में गंभीर हालत में हैं। न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया और बताया कि घटना के समय सैकड़ों लोग जश्न मनाने के लिए मौजूद थे। मृतकों में एक इजरायली नागरिक भी शामिल है।
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानेस ने अहमद की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा, “यह हमला यहूदी ऑस्ट्रेलियाई समुदाय पर था, लेकिन यह हम सभी ऑस्ट्रेलियाइयों पर हमला है। हमारी सरकार इस नफरत, हिंसा और आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगी।” इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले से पहले ऑस्ट्रेलियाई सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया और कहा कि “सिक्के की नकारात्मक नीतियों ने antisemitism को बढ़ावा दिया है।”
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अहमद की बहादुरी को व्यापक रूप से सराहा गया। लोग उन्हें हीरो मान रहे हैं जिन्होंने न केवल अपनी जान की परवाह किए बिना बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए साहसिक कदम उठाया।


