इस्लामाबाद (नेहा): बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मई महीने में भारत के खिलाफ संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की बुरी तरह से हार हुई थी। इसमें कहा गया है कि भारत के खिलाफ पारंपरिक लड़ाई में अपने 11 एयरबेस को मिसाइल हमले से बचाने में पाकिस्तान नाकाम रहा था। जिसके बाद पाकिस्तान इस साल से अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम में और तेजी लाएगा, क्योंकि वो जान गया है कि पारंपरिक लड़ाई में भारत के आगे टिक नहीं पाएगा। आपको बता दें कि न्यूक्लियर नोटबुक पर रिसर्च फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने किया है।
इसके डायरेक्टर हैंस एम. क्रिस्टेंसन, एसोसिएट डायरेक्टर मैट कोर्डा और सीनियर रिसर्च एनालिस्ट एलियाना जॉन्स और मैकेंजी नाइट-बॉयल ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। भारत ने मई संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर धमाका किया था। इसके अलावा कैराना हिल्स पर भी एक विस्फोट हुआ था, जिसकी जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना ने लेने से इनकार कर दिया। इसमें कहा गया कि पाकिस्तान ने भी किराना हिल्स में भारतीय हमला होने की बात को दबाने का ही काम किया, जिससे पता चलता है कि दोनों ही देश ‘संवेदनशील परमाणु ठिकाने’ की बात पर बहस करने से बच रहे थे।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मिसाइल हमलों के खिलाफ पाकिस्तान के लिए खुद को बचाना असंभव है। मई संघर्ष से साबित हुआ है पाकिस्तान ऐसा कभी कर ही नहीं सकता है। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि “संघर्ष के ठीक बाद पाकिस्तान एयर फोर्स और मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज (MES) ने तबाह हुए सैन्य ठिकानों की मरम्मत के लिए सार्वजनिक ठेके जारी किए हैं। जिन स्थलों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है, उनमें प्रमुख हैं- PAF शाहबाज एयरबेस, PAF नूर खान एयरबेस, और PAF मसरूर एयरबेस, जहां F-16 लड़ाकू विमान, JF-17 फाइटर जेट और मिराज विमान पाकिस्तान ने तैनात कर रखे थे। इसके अलावा, सर्गोधा परिसर में भी काफी ज्यादा क्षति हुई है, जो किराना हिल्स के आसपास स्थित है और ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़ा रहा है।
इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अब जान गया है कि वो भारत से खुद को नहीं बचा सकता है, इसलिए अब वो और तेजी के साथ परमाणु बम का निर्माण करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास अभी करीब 170-172 परमाणु वॉरहेड हैं और 2030 तक पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर वॉरहेड्स की संख्या बढ़कर 200 हो जाएगा। इसके अलावा पाकिस्तान अब काफी तेजी से अपनी मिसाइल क्षमता को आगे बढ़ाएगा और हाई स्पीड मिसाइलों की निर्माण की तरफ कदम बढ़ाएगा। न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान, शॉर्ट-रेंज, मिड-रेंज और बैलिस्टिक मिसाइलों का व्यापक नेटवर्क विकसित कर चुका है।
इसके पास अब्दुल्ला, बाबर, शाहीन और हत्फ-IX जैसी मिसाइलें हैं, जो अलग-अलग दूरी और श्रेणियों में उच्च सटीकता वाली मारक क्षमता रखती हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान ने क्रूज मिसाइल और टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइलों का भी डेवलपमेंट किया है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक दबाव बनाने में सक्षम हैं। यह मिसाइल नेटवर्क पाकिस्तान को सीमाओं पर असंतुलन पैदा करने, भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने और किसी भी तात्कालिक खतरे का जवाब देने में मदद करता है। सर्गोधा और अन्य मिसाइल बेस पर सटीक हमले ने यह साबित कर दिया कि भारत की पारंपरिक ताकत पाकिस्तान के रणनीतिक ठिकानों को ध्वस्त करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन क्या मई संघर्ष में भारतीय हमले में किराना हिल्स को नुकसान पहुंचा है, इसके बारे में पाकिस्तान ने अभी भी कोई ठोस जानकारी बाहर नहीं आने दी है, जबकि भारत हमला करने से पल्ला झाड़ चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के पास कई अंडरग्राउंड न्यूक्लियर फैसिलिटी हैं। जैसे कि किराना हिल्स, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये हथियार और मिसाइलों के सुरक्षित भंडारण और संचालन की क्षमता देती हैं। इस रिपोर्ट को लिखने वाले वैज्ञानिकों ने लिखा है कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद दक्षिण एशिया परमाणु युद्ध के लिए काफी संवेदनशील क्षेत्र बन गया है, क्योंकि भारत अब ऐसे मिसाइल बना रहा है, जो पाकिस्तान के अंडरग्राउंड न्यूक्लियर फैसिलीटी को तबाह कर सकता है। इसीलिए उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि पाकिस्तान ‘नो फर्स्ट न्यूक्लियर फर्स्ट’ नीति को नहीं मानता है जो चिंताजनक है।