नई दिल्ली (नेहा): अमेरिका में कई सरकारी कर्मचारियों को अब फूड डिलीवरी या अस्थायी नौकरियों कर गुजारा करना पड़ रहा है। वे रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने और ईएमआई भरने के लिए ऐसा कर रहे हैं। दरअसल, देश में लगे शटडाउन की वजह से 7.5 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रुकी हुई है। अमेरिका में 1 अक्टूबर से शुरू हुआ सरकारी शटडाउन अब 22वें दिन में पहुंच गया है। संसद के ऊपरी सदन सीनेट में 20 अक्टूबर को फंडिंग बिल पर 11वीं बार वोटिंग हुई, लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रस्ताव को फिर से खारिज कर दिया गया। ऐसे में यह अमेरिकी इतिहास का दूसरा सबसे लंबा शटडाउन बन गया है।
अमेरिका का फिस्कल ईयर यानी खर्च का साल 1 अक्टूबर से शुरू होता है। यह एक तरह से सरकार का आर्थिक साल होता है, जिसमें वह अपना पैसा खर्च करने और बजट बनाने की योजना बनाती है। इस दौरान सरकार तय करती है कि कहां पैसा लगाना है, जैसे सेना, स्वास्थ्य या शिक्षा में। अगर इस तारीख तक नया बजट पास नहीं होता, तो सरकारी कामकाज बंद हो जाता है। इसे शटडाउन कहते हैं। अमेरिका के दोनों प्रमुख दल डेमोक्रेट और रिपब्लिकन में ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी प्रोग्राम को लेकर ठनी हुई गई है। डेमोक्रेट्स चाहते थे कि हेल्थ केयर (स्वास्थ्य बीमा) की सब्सिडी बढ़ाई जाए। रिपब्लिकन को डर है कि अगर सब्सिडी बढ़ाई गई तो सरकार को खर्च करने के लिए और पैसे की जरूरत पड़ेगी, जिससे बाकी सरकारी काम प्रभावित होंगे।
शटडाउन का सबसे बुरा असर एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों पर पड़ रहा है। इन्हें जरूरी कर्मचारी माना जाता है, इसलिए 1 अक्टूबर को शटडाउन शुरू होने के बावजूद उन्हें लगातार काम करना पड़ रहा है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन रुकने के कारण हजारों कंट्रोलर अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि कई कंट्रोलर अपनी नियमित शिफ्ट खत्म करने के बाद दूसरी नौकरी करने को मजबूर हैं। वे गुजारा करने के लिए Uber चला रहे हैं, खाना डिलीवर कर रहे हैं, या रेस्टोरेंट में काम कर रहे हैं। नेशनल एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स एसोसिएशन (NATCA) के अध्यक्ष निक डेनियल्स ने कहा कि हालात गंभीर हो गए हैं।