वाशिंगटन (राघव): ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता और मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच बहरीन ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। बहरीन और अमेरिका ने हाल ही में एक सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन एग्रीमेंट पर दस्तखत किए हैं। ये डील न सिर्फ शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के विकास की ओर इशारा करती है, बल्कि इसे अमेरिका की तरफ से ईरान को एक परोक्ष संदेश भी माना जा रहा है कि अगर तेहरान सहयोगी रवैया अपनाता है, तो उसे भी इस तरह की साझेदारी मिल सकती है।
इस डील के तहत अमेरिका बहरीन को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी, रिसर्च, सेफ्टी प्रोटोकॉल और स्किल डेवलपमेंट में सहयोग देगा। बहरीन ने 2060 तक खुद को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए वह क्लीन एनर्जी की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। इस समझौते को उस मिशन की एक बड़ी छलांग माना जा रहा है। बहरीन जैसे छोटे देश के लिए Small Modular Reactors (SMRs) गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। ये रिएक्टर न केवल सस्ते और कॉम्पैक्ट होते हैं, बल्कि इन्हें इंस्टॉल करना और ऑपरेट करना भी आसान होता है। UAE की तरह, बहरीन भी फॉरेन टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद से इन्हें चलाने की तैयारी में है।
इस न्यूक्लियर डील के साथ-साथ बहरीन ने अमेरिका में करीब 17 अरब डॉलर के निवेश की भी घोषणा की है, जिसमें एविएशन, टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्रीज जैसे सेक्टर शामिल हैं। इतना ही नहीं एक 800 किलोमीटर लंबा सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल प्रोजेक्ट भी सामने आया है, जो बहरीन, सऊदी अरब, कुवैत और इराक को आपस में जोड़ेगा। अमेरिका और बहरीन के संबंध दशकों पुराने हैं। अमेरिकी नेवी की Fifth Fleet का मुख्यालय बहरीन में है। दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और अब्राहम अकॉर्ड्स जैसे कई समझौते पहले से मौजूद हैं। ऐसे में ये न्यूक्लियर डील सिर्फ ऊर्जा तक सीमित नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ा कदम है।