नई दिल्ली (नेहा): नई दिल्लीः अमेरिका ने संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किए गए ‘ भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक’ का स्वागत किया है। अमेरिका ने कहा कि वो भारत के SHANTI बिल का स्वागत करता है, जो एक मज़बूत एनर्जी सिक्योरिटी पार्टनरशिप और शांतिपूर्ण सिविल न्यूक्लियर सहयोग की दिशा में एक कदम है। नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने X पोस्ट में कहा, ‘हम भारत के नए #SHANTIBill का स्वागत करते हैं, जो एक मजबूत एनर्जी सिक्योरिटी पार्टनरशिप और शांतिपूर्ण सिविल न्यूक्लियर सहयोग की दिशा में एक कदम है। अमेरिका एनर्जी सेक्टर में जॉइंट इनोवेशन, अनुसंधान और विकास करने के लिए तैयार है।’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 20 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक’ को मंजूरी दे दी थी। यह विधेयक नागरिक परमाणु क्षेत्र से संबंधित सभी कानूनों को समाहित करता है और साथ ही इसे निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए भी खोलता है। शांति विधेयक ने परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को निरस्त कर दिया। यह निजी कंपनियों और संयुक्त उद्यमों को सरकार से लाइसेंस प्राप्त करके परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण, स्वामित्व, संचालन करने में सक्षम बनाता है।
बीते गुरुवार को राज्यसभा से ‘द सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल 2025’, यानी शांति विधेयक, 2025 से भी पारित हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति विधेयक के पारित होने पर खुशी जताई थी। पीएम मोदी ने कहा कि संसद के दोनों सदनों द्वारा शांति विधेयक का पारित होना हमारे प्रौद्योगिकी परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी क्षण है।
इसके पारित होने में सहयोग देने वाले सांसदों के प्रति मेरी कृतज्ञता। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को सुरक्षित रूप से संचालित करने से लेकर हरित विनिर्माण को सक्षम बनाने तक, यह विधेयक देश और विश्व के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को निर्णायक गति प्रदान करता है। यह निजी क्षेत्र और हमारे युवाओं के लिए भी अनेक अवसर खोलता है। भारत में निवेश करने, नवाचार करने और विकास करने का यह सबसे उपयुक्त समय है।


