नई दिल्ली (नेहा): दुनिया में कई ऐसे लोग रहे हैं जिन्होंने जानवरों की देखभाल में अपना पूरा समय लगा दिया। ऐसी ही एक महिला भी थीं जिन्हें चिंपैंजी अपना दोस्त मानते थे क्योंकि उन्होंने जिंदगी का ज्यादातर वक्त उनके बीच शोध करते हुए बिताया। उनकी हाल ही में 91 साल की उम्र में मौत हो गई। पूरी दुनिया में उनके चाहने वाले सदमे में हैं। इस महिला का नाम है जेन गुडॉल। आइए आपको उनके बारे में ज्यादा जानकारी देते हैं।
प्रसिद्ध प्राइमेटोलॉजिस्ट और पर्यावरणविद जेन गुडॉल का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जीवन और शोध कार्य पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा रहा। तंजानिया के गोंबे जंगल में 1960 से चिंपैंजियों पर किए गए उनके अध्ययन ने न सिर्फ विज्ञान की धारणाओं को बदल दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि जानवरों में भी भावनाएं, व्यक्तित्व और सामाजिक व्यवहार होते हैं। गुडॉल की खोजों ने इंसान और पशु साम्राज्य के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया।
जेन गुडॉल का जन्म 1934 में लंदन में हुआ. बचपन से ही उन्हें जानवरों से गहरा लगाव था। चार साल की उम्र में जब उन्होंने पहली बार मुर्गी को अंडा देते देखा तो उनकी जिज्ञासा और भी गहरी हो गई। युवावस्था में उन्होंने अफ्रीका जाकर जानवरों के बीच रहने और उन पर लिखने का सपना देखा। 1960 में प्रसिद्ध मानवविज्ञानी लुई लीकी के सहयोग से वे तंजानिया पहुंचीं और यहीं से उनका ऐतिहासिक शोध शुरू हुआ।