मुंबई (राघव): शुक्रवार (25 जुलाई) भारतीय शेयर बाजार के लिए किसी झटके से कम नहीं रहा। ‘ब्लैक फ्राइडे’ के रूप में याद किया जाने वाला दिन निवेशकों के लिए भारी नुकसान लेकर आया। सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स में जोरदार गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 721 अंक गिरकर 81,463.09 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी 50 भी 225.10 अंक गिरकर 24,837 के स्तर पर बंद हुआ।
निवेशकों की दौलत सिर्फ दो दिनों में ₹7 लाख करोड़ से अधिक घट गई है, क्योंकि बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैप 23 जुलाई के ₹460.35 लाख करोड़ से घटकर लगभग ₹453 लाख करोड़ रह गया है।
बाजार में गिरावट की वजह:
1. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी:
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। जबकि अमेरिका जापान, वियतनाम और फिलीपींस जैसे एशियाई देशों के साथ समझौते कर चुका है, भारत के साथ इसे लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली:
जुलाई में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से ₹28,528 करोड़ की निकासी की है। सिर्फ पिछले चार दिनों में ही उन्होंने ₹11,572 करोड़ के शेयर बेचे हैं, जिससे बाजार पर जबरदस्त दबाव बना है।
3. पहली तिमाही के कमजोर नतीजे:
आईटी और फाइनेंस सेक्टर समेत कई क्षेत्रों में कंपनियों के पहली तिमाही के प्रदर्शन ने बाजार की उम्मीदों को निराश किया है। मैनेजमेंट की सतर्क टिप्पणियों ने निवेशकों की धारणा और कमजोर कर दी है।
4. ऊंचे वैल्यूएशन को लेकर चिंता:
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार खासकर स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों का वैल्यूएशन अब बहुत ज्यादा हो गया है, जिसे मौजूदा कमाई के हिसाब से सही ठहराना मुश्किल है। इससे गिरावट की आशंका और बढ़ गई है।
5. तकनीकी कमजोरी के संकेत:
निफ्टी 50 का 25,000 के नीचे फिसलना तकनीकी रूप से और गिरावट की ओर इशारा करता है। एक्सिस सिक्योरिटीज का कहना है कि लगातार दो दिन तक बने मंदी के पैटर्न बाजार में कमजोरी को दर्शाते हैं।