नई दिल्ली (नेहा): एम्स प्रशासन ने अस्पताल के राष्ट्रीय वृद्धजन केंद्र (एनसीए) में इलाज के लिए अधिकृत मरीजों की न्यूनतम उम्र की सीमा पांच वर्ष कम कर दी है। इस बाबत एम्स की चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डा. निरुपम मदान ने 25 जुलाई को आदेश जारी किया है। इसलिए अब एम्स के एनसीए में 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों का इलाज हो सकेगा। बुजुर्गों को एक छत के नीचे बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एम्स में एनसीए का निर्माण किया गया है। इसकी बेड क्षमता 200 है। इसमें करीब ढाई वर्ष पहले चिकित्सा सुविधाएं शुरू हुई थी। इसमें 65 वर्ष अधिक उम्र के बुजुर्गों के इलाज का प्रविधान था।
इस वजह से 60 से 64 वर्ष के बुजुर्ग इस सेंटर में इलाज नहीं करा पा रहे थे। एम्स प्रशासन का कहना है कि 60 वर्ष की उम्र वाले लोगों वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं। बुजुर्गों के स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) में भी 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र वाले लोग शामिल किए गए हैं।
इस वजह से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश और एम्स निदेशक की स्वीकृति से एनसीए में इलाज के लिए अधिकृत मरीजों की न्यूनतम उम्र 60 वर्ष निर्धारित कर दी गई है। इसलिए 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्ग एनसीए में इलाज करा सकेंगे।
लेकिन एम्स में इलाज के लिए पहुंचे हर मरीज का एनसीए में ही इलाज होगा ऐसा नहीं है। पहले की तरह एम्स के मुख्य अस्पताल सहित अन्य सेंटर में भी इलाज का विकल्प बरकरार रखा गया है। इसलिए बुजुर्ग अपनी इच्छा से यह तय कर सकते हैं कि वे एनसीए में इलाज कराना चाहते हैं या एम्स के किसी अन्य सेंटर में।
एनसीए में जेरियाट्रिक मेडिसिन, आथोपेडिक, मनोचिकित्सा सहित कई विभागों की ओपीडी एक जगह चलती है। इसलिए बुजुर्गों को इलाज के लिए भागदौड़ करने की जरूरत नहीं पड़ती।