वॉशिंगटन (राघव): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह भारत के ऊपर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। ट्रंप की कोशिश भारत को उसके पुराने सहयोगी रूस से दूर करने की थी, लेकिन असलियत में उनके इस कदम ने नई दिल्ली और वॉशिंगटन के 25 वर्षों में बने सबंधों में दरार पैदा कर दी है। भारत के खिलाफ ट्रंप के टैरिफ हमले से अब वह स्थिति पैदा हो रही है, जिसे वो शायद कतई नहीं चाहते होंगे। इसने रूस और भारत के बीच गहरे संबंधों को और मजबूती ओर बढ़ा दिया है। वहीं चीन को टैरिफ में भारत के मुकाबले छूट से नई दिल्ली को बीजिंग से दूर करने के वॉशिंगटन के प्रयास भी खतरे में पड़ गए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन भी ऐसा ही मानते हैं। बोल्टन ने कहा कि व्यापार के मामले में ट्रंप का भारत के बजाय चीन को प्राथमिकता देना बहुत बड़ी भूल है। उन्होंने कहा कि अमेरिका दोस्त और दुश्मन दोनों पर समान तरह से टैरिफ लगा रहा है। सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चीन के प्रति ट्रंप की नरमी और भारत पर भारी टैरिफ, भारत को रूस और चीन से दूर करने के दशकों पुराने अमेरिकी प्रयासों को खतरे में डाल रहे हैं।
बोल्टन का कहना है कि ‘भारत पर ट्रंप कै टैरिफ का उद्येश्य रूस को नुकसान पहुंचाना है, लेकिन ये टैरिफ भारत को रूस और चीन के करीब ला सकते हैं, ताकि वे इन टैरिफ का विरोध कर सकें।’ बोल्टन ने हिल पत्रिका में एक लेख लिखकर ट्रंप के भारत पर टैरिफ की आलोचना की है। उन्होंने लिखा, ‘ऐसा लगता है कि वॉइट हाउस टैरिफ दरों और अन्य मानकों पर नई दिल्ली की तुलना में बीजिंग के साथ अधिक उदार व्यवहार करने की ओर अग्रसर है। अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी भूल होगी।’
पूर्व राजदूत ने कहा कि अगर चीन कोई बेहतर डील कर लेता है, तो भारत में गुस्सा तेजी से बढ़ सकता है। उन्होंने बीजिंग को लेकर चिंताओं को जिक्र करते हुए कहा कि चीन का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष भारत की तुलना में काफी ज्यादा है। वॉशिंगटन लंबे समय से चीन की व्यापारिक प्रथाओं की शिकायत करता रहा है, जिसमें बौद्धिक संपदा की चोरी, अपनी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को सब्सिडी देना और चीन के घरेलू बाजार तक पहुंच से इनकार करना शामिल है।
बोल्टन ने यह भी बताया कि पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों को कम टैरिफ दरें मिली हैं। उन्होंने कहा कि एशिया के सुरक्षा चतुर्भुज भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के भीतर सहयोग बढ़ाने के बजाय ट्रंप भारत को रूस और चीन के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंधों की ओर धकेल सकते हैं। उन्होंने कहा कि बीजिंग ट्रंप की व्यापार छूट को अमेरिका की कमजोरी और चीन के साथ व्यापार पर निर्भरता के रूप में देखेगा।