टोक्यो (पायल): लगभग तीन दशकों तक बेहद कम ब्याज दरों की नीति अपनाने के बाद अब जापान की सेंट्रल बैंकिंग व्यवस्था एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ती दिख रही है। बढ़ती महंगाई और मजबूत वेतन वृद्धि के बीच बैंक ऑफ जापान (Bank of Japan) ब्याज दरों को 30 साल के सबसे ऊंचे स्तर तक ले जाने की तैयारी में है, जो न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए भी एक अहम संकेत माना जा रहा है।
बैंक ऑफ जापान की दो दिवसीय बैठक के बाद शुक्रवार को शॉर्ट-टर्म ब्याज दरों को 0.5% से बढ़ाकर 0.75% किए जाने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो यह जनवरी के बाद पहली बढ़ोतरी होगी और दरें 1995 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच जाएंगी। उस समय जापान एसेट बबल फूटने के बाद गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। हालांकि वैश्विक स्तर पर यह दर अभी भी कम मानी जाती है, लेकिन जापान के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है, जो यह दिखाता है कि देश अब लंबे समय तक चली आसान मौद्रिक नीति से बाहर निकलने को तैयार है।
गवर्नर काजुओ उएदा का मानना है कि वेतन में लगातार हो रही बढ़ोतरी महंगाई को 2% के लक्ष्य के आसपास टिकाए रखेगी। यही भरोसा बैंक को आगे और दरें बढ़ाने के संकेत देने के लिए प्रेरित कर रहा है, भले ही वह फिलहाल यह साफ न करे कि अगली बढ़ोतरी कब और कितनी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक यह संदेश देना चाहता है कि दरें बढ़ने के बावजूद वास्तविक ब्याज दरें अभी भी कम रहेंगी और आर्थिक हालात निवेश के लिए अनुकूल बने रहेंगे।
जानकारी अनुसार, 90% अर्थशास्त्री मानते हैं कि दिसंबर में दरें 0.75% तक जाएंगी, जबकि दो-तिहाई से ज्यादा विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले साल सितंबर तक ब्याज दरें 1% या उससे ऊपर पहुंच सकती हैं। बाजार अब उएदा की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर नजर लगाए हुए हैं, क्योंकि वहीं से यह संकेत मिल सकता है कि आगे दरें किस रफ्तार से बढ़ेंगी। इसका असर सिर्फ जापान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि येन की सस्ती फंडिंग वाली भूमिका बदलने से वैश्विक बाजार भी प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि बैंक के अनुमान के मुताबिक अर्थव्यवस्था के लिए न्यूट्रल ब्याज दर 1% से 2.5% के बीच मानी जाती है, लेकिन बैंक इस बैठक में इसे लेकर कोई नया आंकड़ा जारी नहीं करेगा। इसके बजाय, बैंक सिर्फ यह दोहराएगा कि जरूरत पड़ने पर वह आगे भी सख्ती करने को तैयार है।
नवंबर में जारी आंकड़ों के मुताबिक, कोर कंज्यूमर महंगाई 3% पर बनी हुई है, जो बैंक के लक्ष्य से काफी ऊपर है। खासतौर पर खाद्य कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने महंगाई को करीब चार साल से ऊंचे स्तर पर बनाए रखा है। इसके अलावा, येन की कमजोरी भी चिंता का कारण बनी हुई है, क्योंकि इससे आयात महंगा होता है और महंगाई और बढ़ती है। यही वजह है कि पहले नरम रुख रखने वाली सरकार भी अब ब्याज दर बढ़ाने के पक्ष में नजर आ रही है।
सरकार से जुड़े सलाहकारों का मानना है कि कमजोर येन सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं के असर को भी कमजोर कर सकता है। इसी कारण प्रशासन ने भी दरों में बढ़ोतरी पर सहमति जताई है। एक सरकारी पैनल सदस्य के मुताबिक, एक्सचेंज रेट अब बैंक ऑफ जापान के फैसलों में अहम भूमिका निभा रहा है।


