नई दिल्ली (नेहा): जीएसटी 2.0 के जरिये मोदी सरकार ने सुधारों की आंधी चलाई है। हालांकि, पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के बाहर ही रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लेकर बड़ी बात कही है। उनके मुताबिक, इसके लिए कानूनी प्रावधान हैं। लेकिन, राज्यों की ‘हां’ जरूरी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कई अहम बातें कहीं। उन्होंने साफ किया कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का कोई तुरंत प्लान नहीं है। साथ ही, रियल एस्टेट बिल्डरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) वापस देने की भी कोई योजना नहीं है। राज्यों की सहमति के बिना पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लागू नहीं होगा।
सरकार का मानना है कि आईटीसी देने से राजस्व का नुकसान हो सकता है। नियमों का पालन करना भी मुश्किल हो जाएगा। बिल्डर आईटीसी वापस चाहते हैं। उनका कहना है कि इससे प्रोजेक्ट की लागत बढ़ रही है। निर्मला सीतारमण ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में ये बातें कहीं। उन्होंने बताया कि कानून के हिसाब से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल किया जा सकता है। लेकिन, इसका फैसला राज्यों को लेना है। उन्होंने कहा, ‘कानून इसकी इजाजत देता है। लेकिन, इसे लागू करना राज्यों की सहमति पर निर्भर करता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जीएसटी काउंसिल इस पर तभी फैसला लेगी, जब राज्यों को यह सही लगेगा।