बांदा आचेह (राघव): इंडोनेशिया के रूढ़िवादी आसेह प्रांत में एक इस्लामी शरिया अदालत ने सोमवार को दो पुरुषों को यौन कृत्य में लिप्त रहने के जुर्म में सार्वजनिक रूप से 80-80 बेंत मारने की सजा सुनाई। प्रांतीय राजधानी बैंडा आसेह की इस्लामी शरिया जिला न्यायालय में यह मुकदमा बंद कमरे में चला। न्यायाधीशों को यह अधिकार है कि यदि मामला व्यभिचार से संबंधित है तो वो जनसाधारण की अदालती कार्यवाही में पहुंच को सीमित कर सकते हैं और केवल निर्णय सुनाए जाने के समय उसे सार्वजनिक कर सकते हैं।
दोनों पुरुषों (उम्र 20-21 साल) को अप्रैल में तब गिरफ्तार किया गया था जब बैंडा आसेह के तमन सारी सिटी पार्क में लोगों ने उन्हें एक ही शौचालय में घुसते देखा तथा इलाके में गश्त कर रही शरिया पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने शौचालय में घुसकर दोनों पुरुषों को एक-दूसरे को चूमते और गले लगाते हुए पकड़ा, जिसे अदालत ने यौन कृत्य माना।
आसेह को मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक धार्मिक माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा प्रांत है, जहां इस्लामी शरिया कानून के एक संस्करण को लागू करने की अनुमति है। सोमवार का यह फैसला आसेह में साल 2015 में इस्लामी कानून लागू होने के बाद से समलैंगिकता के लिए सार्वजनिक रूप से बेंत से पीटने की 5वीं सजा है। इंडोनेशिया की राष्ट्रीय आपराधिक संहिता समलैंगिकता को नियंत्रित नहीं करती है। लेकिन, केंद्र सरकार के पास आसेह में शरिया कानून को रद्द करने का अधिकार नहीं है।
बता दें कि, शरिया कानून इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक, सामाजिक और कानूनी नियमों की संहिता है, जो क़ुरआन, हदीस, इस्लामी विद्वानों की राय (इज्मा) और तर्क (कियास) पर आधारित है। ‘शरिया’ का अर्थ है ‘मार्ग’ या ‘पथ’, जिसे अल्लाह द्वारा इंसानों के लिए निर्धारित सही रास्ता माना जाता है। यह कानून केवल न्याय और अपराध से जुड़ा नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू- व्यक्तिगत आचरण, व्यापार, विवाह, तलाक, विरासत, खान-पान और पूजा-पद्धति को शामिल करता है।