नई दिल्ली (नेहा): रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, कुछ ही समय बाद उसका नियंत्रण खो गया और वह निर्जन इलाके में जा गिरा। हादसे के बाद तुरंत खोज और बचाव दल को रवाना किया गया, ताकि क्रू के सदस्यों की स्थिति की जानकारी मिल सके। मंत्रालय के मुताबिक, यह उड़ान एक नियमित परीक्षण थी, जो मरम्मत के बाद हर सैन्य विमान के लिए जरूरी प्रक्रिया होती है।
विमान के टुकड़े झील के किनारे और पानी में बिखरे मिले। यह संकेत देता है कि विमान तेज रफ्तार में नीचे आया और टकराते ही टूटकर कई हिस्सों में बिखर गया। खोज दल अब इन टुकड़ों को इकट्ठा कर दुर्घटना के सही कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, अभी तक किसी आधिकारिक कारण की पुष्टि नहीं की गई है।
An-22 रूस के सबसे बड़े सैन्य परिवहन विमानों में से एक माना जाता है। यह विमान भारी हथियारों और बड़े सैन्य उपकरणों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए इस्तेमाल होता है। रूसी एयरोस्पेस फोर्सेज इसे अपने प्रमुख मालवाहक विमानों में गिनती हैं। इसकी मजबूत डिजाइन और लंबी दूरी तय करने की क्षमता इसे सैन्य अभियानों में बेहद उपयोगी बनाती है।
An-22 विमान की अधिकतम टेकऑफ क्षमता 225 टन है और यह 60 टन तक का पेलोड ले जा सकता है। रूसी टीवी चैनलों के अनुसार, यह विमान अगर करीब 40 टन का सामान लेकर उड़ान भरे तो यह 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तय कर सकता है। इतनी बड़ी क्षमता वाला विमान रूस के कई सामरिक मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इसलिए इस हादसे ने रूसी सैन्य ढांचे को हिला दिया है।
रक्षा मंत्रालय ने दुर्घटना की जांच शुरू करने का आदेश दे दिया है। प्रारंभिक जांच तकनीकी खराबी की ओर इशारा करती है, क्योंकि विमान मरम्मत के बाद पहली बार हवा में गया था। हालांकि, जांच दल यह भी देखेगा कि कहीं मानवीय त्रुटि, मौसम या मशीन की विफलता जैसी कोई और वजह तो नहीं रही। इस हादसे ने रूस के सैन्य विमान बेड़े की सुरक्षा पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।


