नई दिल्ली (नेहा): अमेरिका यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ मिलकर भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी दे रहा है। वहीं वह ईयू से यह भी कह रहा है कि वे भी भारत पर अमेरिका की तरह ज्यादा टैरिफ लगाए। वहीं दूसरी ओर भारत ईयू के साथ एक ट्रेड डील करने जा रहा है। इस डील को लेकर अमेरिका को चुभन हो सकती है। इस डील का काउंटडाउन आज यानी 8 सितंबर से शुरू हो जाएगा। दोनों पक्ष चाहते हैं कि साल के अंत तक इस समझौते पर बात बन जाए। इस समझौते में कुछ खास मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। जैसे कि सामान पर लगने वाले टैक्स, बाजार में पहुंच और सरकारी खरीद। आने वाले हफ्तों में भारत और ईयू के अधिकारी दिल्ली और ब्रुसेल्स में मिलेंगे। वे साल 2026 में होने वाले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन की तैयारी करेंगे। इस सम्मेलन में दोनों देशों के बीच सहयोग को लेकर कुछ बड़े फैसले हो सकते हैं।
इस समझौते में कुछ खास मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। जैसे कि सामान पर लगने वाले टैक्स, बाजार में पहुंच और सरकारी खरीद। आने वाले हफ्तों में भारत और ईयू के अधिकारी दिल्ली और ब्रुसेल्स में मिलेंगे। वे साल 2026 में होने वाले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन की तैयारी करेंगे। इस सम्मेलन में दोनों देशों के बीच सहयोग को लेकर कुछ बड़े फैसले हो सकते हैं। खबरों के अनुसार, ईयू के व्यापार आयुक्त मारोस सेफकोविक और कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ हेनसेन भी दिल्ली आएंगे। वे इस व्यापार समझौते को लेकर बातचीत करेंगे। अमेरिका की टैरिफ नीतियों की वजह से जो दिक्कतें आ रही हैं, उन्हें देखते हुए इस समझौते को और भी जरूरी माना जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि टैरिफ वॉर से दिक्कतें हो रही हैं और हर कोई यह जानना चाहता है कि इससे कैसे बचा जाए। सेफकोविक, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल से बात करेंगे ताकि बातचीत में कोई रुकावट न आए।
अभी तक दोनों पक्षों ने एफटीए के 23 मुद्दों में से 11 पर सहमति बना ली है। इनमें बौद्धिक संपदा, सीमा शुल्क, व्यापार, पारदर्शिता, नियम, छोटे व्यवसाय (SME), खाद्य सुरक्षा, विवादों का निपटारा, प्रतिस्पर्धा, सब्सिडी, डिजिटल ट्रेड और धोखाधड़ी जैसे मुद्दे शामिल हैं। वे पूंजी के लेनदेन से जुड़े एक और अध्याय को भी जल्द ही पूरा कर लेंगे। 13वीं दौर की बातचीत आज यानी 8 सितंबर से शुरू होगी। इसके बाद 8 अक्टूबर से ब्रुसेल्स में 14वीं दौर की बातचीत होगी। इन दौरों में कुछ अहम मुद्दों पर बात होगी। जैसे कि व्यापार में आने वाली तकनीकी दिक्कतें, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, बाजार में पहुंच, सामान की उत्पत्ति के नियम और सरकारी खरीद। दोनों पक्ष सेवाओं और निवेश को लेकर भी एक-दूसरे को प्रस्ताव दे चुके हैं।
वे इन प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं ताकि कोई बीच का रास्ता निकल सके। डिजिटल ट्रेड से जुड़े कुछ तकनीकी मुद्दों को भी सुलझाने की कोशिश की जाएगी। भारत ने कुछ चीजों को इस समझौते से बाहर रखने की बात कही है। जैसे कि चावल, चीनी और डेयरी उत्पाद। वहीं, ईयू चाहता है कि उसे ऑटोमोबाइल और शराब के बाजार में ज्यादा पहुंच मिले। ईयू मछली और झींगा जैसे समुद्री उत्पादों के निर्यात पर भी ध्यान देना चाहता है। क्योंकि अमेरिका ने इन उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिया है। पिछले साल भारत ने अमेरिका को लगभग 2.8 अरब डॉलर के झींगे का निर्यात किया था।