वाशिंगटन (राघव): अप्रवासियों के निर्वासन मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप को अप्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया फिर से शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में यह जानकारी नहीं दी कि यह आदेश किस आधार पर दिया गया है। वहीं न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमायोर और दो अन्य न्यायाधीशों ने फैसले पर असहमति जाहिर की है।
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की प्रवक्ता ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने कहा कि तीसरे देशों में निर्वासन जल्द ही फिर से शुरू हो सकता है। निर्वासन विमानों को चालू करें। उन्होंने इस फैसले को अमेरिकी लोगों की सुरक्षा और संरक्षा की जीत बताया। यह फैसला उस वक्त आया जब आव्रजन अधिकारियों ने आठ लोगों को दक्षिण सूडान जाने वाले विमान में बैठा दिया। बाद में एक न्यायाधीश के हस्तक्षेप के बाद उन्हें जिबूती स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर भेज दिया गया। म्यांमार, वियतनाम और क्यूबा जैसे देशों से आए इन प्रवासियों को अमेरिका में गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था। नेशनल इमिग्रेशन लिटिगेशन अलायंस की कार्यकारी निदेशक अटॉर्नी ट्रिना रियलमुटो ने कहा कि उनके वकील लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जब तक उन्हें वकीलों से बात करने का मौका नहीं मिल जाता, तब तक वे दक्षिण सूडान में उनके निष्कासन पर रोक लगा दें और कारावास, यातना और मौत की चिंताओं को उठाएं।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने कहा कि संविधान और कांग्रेस ने राष्ट्रपति को आव्रजन कानूनों को लागू करने और खतरनाक विदेशियों को देश से बाहर निकालने का अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई हमारे देश से आपराधिक अवैध विदेशियों को बाहर निकालने और अमेरिका को फिर से सुरक्षित बनाने के राष्ट्रपति के अधिकार की पुष्टि करती है।
न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमायोर ने अन्य दो न्यायाधीशों ने फैसले को लेकर असहमति जताई। न्यायाधीश एलेना कागन और केतनजी ब्राउन जैक्सन के साथ असहमति पत्र में सोटोमोर ने लिखा कि अदालत की कार्रवाई से हजारों लोगों को यातना या मौत का खतरा हो सकता है। इससे ट्रंप प्रशासन को जीत मिल सकती है। उन्होंने लिखा कि सरकार ने अपने शब्दों और कार्यों से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह स्वयं को कानून द्वारा बाध्य नहीं मानती है। बिना किसी नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए किसी को भी कहीं भी निर्वासित करने के लिए स्वतंत्र है।
न्याय विभाग ने अदालती दस्तावेजों में कहा कि सरकार अपने अगले कदम तय करने के लिए आदेश पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई से बोस्टन में अमेरिकी जिला न्यायाधीश ब्रायन ई मर्फी के आदेश पर रोक लग गई है। उन्होंने अप्रैल में निर्णय दिया था कि लोगों को यह तर्क देने का अवसर अवश्य मिलना चाहिए कि किसी तीसरे देश में निर्वासन से वे खतरे में पड़ जाएंगे। भले ही उन्होंने अपनी कानूनी अपील समाप्त कर ली हो। उन्होंने पाया कि मई में दक्षिण सूडान में निर्वासन उनके आदेश का उल्लंघन था। उन्होंने आव्रजन अधिकारियों से कहा था कि वे लोगों को अपने वकीलों के माध्यम से अपनी चिंताओं को उठाने की अनुमति दें।