नई दिल्ली (नेहा): यूएन जनरल असेंबली का मंच आमतौर पर भाषणों के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार पर्दे के पीछे कुछ और ही पक रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क में चुनिंदा इस्लामी देशों के नेताओं को गुप्त बातचीत के लिए बुलाया है। सवाल उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ गाजा युद्ध पर चर्चा है, या इसके पीछे किसी नए सैन्य गठबंधन की बुनियाद रखी जा रही है? जब से मुस्लिम देशों ने दोहा की मीटिंग में ‘इस्लामिक नॉटो’ का दांव चला है, डोनाल्ड ट्रंप के माथे पर पसीना आ गया है। इसलिए अब सीक्रेट मीटिंग वाला दांव चला जा रहा है। अब बंद कमरों में बात होगी। एजेंडा तय किया जाएग।
ट्रंप की इस सीक्रेट मीटिंग में सऊदी अरब, यूएई, कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की और पाकिस्तान शामिल होंगे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी की पुष्टि खुद इस्लामाबाद ने कर दी है। बयान में साफ लिखा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा पर विचार-विमर्श के लिए है। लेकिन यह मुलाकात ठीक छह दिन पहले हो रही है, जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ट्रंप से मिलने वॉशिंगटन जाएंगे। यानी तस्वीर साफ है कि ट्रंप एक ओर मुस्लिम नेताओं से बात करेंगे, दूसरी ओर इजरायल से. क्या वह खुद को सबका मध्यस्थ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं?