नई दिल्ली (नेहा): दोस्त इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर हमला तो किया, लेकिन इस हमले के कुछ ही दिनों के बाद ट्रंप ने इजरायल को ऐसा धोखा दिया है कि बेंजामिन नेतन्याहू उसे जीवन भर याद रखेंगे।
जिस ईरान के जिस न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकने के लिए इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत हमला किया और फिर इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिका ने भी ऑपरेशन मिड नाइट हैमर किया, अब ईरान के उसी न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाथ बढ़ा दिया है, जो इजरायल और उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए एक बड़ा झटका है।
अमेरिकी मीडिया ग्रुप सीएनएन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि ईरान को सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को 30 बिलियन डॉलर की सहायता देने की पेशकश की है। साथ ही साथ अमेरिका ने ईरान पर लगे प्रतिबंधों में भी छूट देने को कहा है और साथ ही ये भी कहा है कि अमेरिका ने ईरान के जिस फंड पर रोक लगा रखी थी, उसे भी अब वो हटाने को तैयार है।
ये सब तब हुआ है, जब इजरायल ने ईरान के दो न्यूक्लियर प्लांट्स नतांज और इस्फहान पर हमला किया और उसके कुछ ही देर बाद अमेरिका ने नतांज। इस्फहान के अलावा फोर्डो पर भी बंकर बस्टर बम गिरा दिए, जबकि इन तीनों ही न्यूक्लियर रिएक्टर के बारे में ईरान हमेशा कहता रहा है कि वो परमाणु बम नहीं बना रहा है बल्कि उसका न्यूक्लिर प्रोगाम ईरान की जनता की भलाई के लिए ही है और वो सिविल प्रोग्राम है।
ट्रंप को शायद ये बात ईरान के तीनों परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद समझ में आई है। लिहाजा अमेरिका और ईरान के टॉप अधिकारी बात कर रहे हैं और अमेरिका ने ईरान को सिविल एनर्जी न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए 20 से 30 बिलियन डॉलर दिए जाएंगे। ट्रंप प्रशासन के सूत्रों ने ये भी कहा है कि ये पैसा अमेरिका सीधे ईरान को नहीं देगा, बल्कि वो अपने अरब देशों के दोस्तों के जरिए ये मदद ईरान को पहुंचाएगा। इससे पहले ट्रंप खुद आधिकारिक तौर पर कह चुके हैं कि वो अगले हफ्ते ईरान से मीटिंग करने जा रहे हैं, जिसमें कई बातें होनी हैं।
इस बड़ी रकम के निवेश के अलावा अमेरिका ईरान के विदेशी बैंकों में जमा पैसे पर से भी प्रतिबंध हटाएगा, जिसके जरिए ईरान करीब 6 बिलियन डॉलर की रकम अपनी मर्जी से खर्च कर सकेगा। वहीं, यूरेनियम संवर्धन को लेकर भी अमेरिका ने कहा है कि ईरान अब यूरेनियम संवर्धन नहीं करेगा और अगर उसे संवर्धित यूरेनियम की जरूरत होगी, तो वो उसे बाहर से खरीद सकता है।
ट्रंप के विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी कह रहे हैं कि अगर ईरान बिना किसी मध्यस्थ के अमेरिका से सीधी डील करता है, तो बात बन सकती है। कुल मिलाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को लेकर जो पहल की है, उससे सबसे ज्यादा नाराज इजरायल और उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू होंगे। ईरान को पैसे देने और उसके परमाणु कार्यक्रम में मदद के बाद नेतन्याहू अमेरिका के दोस्त रह पाएंगे या नहीं, ये तय करना ट्रंप और नेतन्याहू के हाथ में है।