नई दिल्ली (नेहा): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह अंधाधुंध टैरिफ लगाए, उससे आर्थिक उथल-पुथल मचने से पहले भारत और चीन एक साथ आ गए। तियानजिन में SCO समिट में शामिल होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों देशों ने एकजुटता दिखाकर ट्रंप को संदेश पहुंचा दिया कि हाथी और ड्रैगन एक साथ आ गए हैं। भारत-चीन की नजदीकी से बौखलाए ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत को लेकर कहा कि वो यूक्रेन युद्ध को फाइनेंस कर रहा है। पीटर नवारो ने भारत के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से रूस की ‘युद्ध मशीन’ को बढ़ावा मिल रहा है।
भारत की आलोचना करते हुए नवारो ने कहा, ‘रूसी तेल खरीद करके रूस को यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में भारत फाइनेंस कर रहा है। भारत रूस से सस्ते तेल की खरीद करके युद्ध को बढ़ा रहा है।’ पीटर नवारो ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले भारत ने रूसी तेल ख़रीदा ही नहीं, बल्कि बहुत कम मात्रा में ख़रीदा था। आख़िर ऐसा क्या हुआ क्या की रूसी रिफ़ाइनर भारत में बड़े तेल कंपनियों के साथ जुड़ गए।
उन्होंने कहा, ‘पुतिन भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को कच्चे तेल पर छूट देते हैं। वे इसे रिफाइन करते हैं और इसे यूरोप, अफ़्रीका और एशिया में भेजते हैं और ढेर सारा पैसा कमाते हैं। यह रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा देती है। भारत क्रेमलिन के लिए एक कपड़े धोने की मशीन के अलावा कुछ नहीं है, जिससे रूस को यूक्रेनियों को मारने में मदद मिल रही है।’ ट्रंप के सलाहकार नवारो पहले भी भारत के खिलाफ बयान दे चुके हैं और भारत को यूक्रेन युद्ध का फाइनेंशर बता चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘अमेरिकी उपभोक्ता भारतीय सामान खरीदते हैं, जबकि भारत हाई टैरिफ के जरिए अमेरिकी निर्यात को बाहर रखता है। भारत हमारे डॉलर का उपयोग रियायती रूसी कच्चे तेल को खरीदने के लिए करता है।’
चीन के तियानजिन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रविवार (31 अगस्त) को SCO समिट से इतर द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान दोनों देशों ने अपसी सहयोग बढ़ाने और संबंधों को मजबूत करने पर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि पीएम मोदी और जिनपिंग ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर साझा आधार को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही दोहराया कि भारत और चीन विकास के साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं और मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए। मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए न्योता दिया, जिसकी मेजबानी भारत 2026 में करेगा।