कीव (नेहा): यूक्रेन ने अंटरवाटर ड्रोन के जरिए रूसी नौसेना की किलो क्लास अटैक पनडुब्बी पर हमला करके उसे बेकार कर दिया। यह अपनी तरह का पहला ऑपरेशन था। यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया कि हमला रूसी नौसेना के काला सागर स्थित एक महत्वपूर्ण नौसेना बेस पर किया गया। यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने अपने सब सी बेबी ड्रोन से नोवोरोस्सिय्सक बंदरगाह पर पनडुब्बी को निशाना बनाया। इस बेस पर रूस ने अपने कई नौसैनिक जहाजों को यूक्रेन के हमलों से बचाने के लिए फिर से तैनात किया था। SBU ने इस हमले का फुटेज जारी किया है। रूस ने इस हमले पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।
वीडियो फुटेज में एक पनडुब्बी और अन्य जहाजों के पास एक तट पर पानी में एक जोरदार धमाका होते हुए दिखाया गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बंदरगाह के लेआउट और तट के जरिए वीडियो की जगह की पुष्टि की है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के सलाहकार अलेक्जेंडर कामिशिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि इतिहास में यह पहली बार है कि किसी अंडरवाटर ड्रोन ने किसी पनडुब्बी को निष्क्रिय किया है।
यूक्रेन के पास अब लगभग कोई नौसैनिक बेड़ा नहीं बचा है, लेकिन उसने समुद्री अंडरवाटर ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करके रूस के काला सागर बेड़े को हाल के दिनों में तेजी से परेशान किया है। इसके चलते रूस को क्रीमिया के कब्जे वाले प्रायद्वीप के सेवेस्तोपोल बंदरगाह शहर में अपनी जगह से हटाना पड़ा है। जिस डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी पर हमला किया गया, वह उन कई जहाजों में थी जिन्हें रूस को क्रीमिया से दक्षिणी रूस के नोवोरोस्सिय्स्क में ले जाना पड़ा था।
यूक्रेन ने जिस रूसी पनडुब्बी को निशाना बनाया है, वह कम से कम चार कैलिबर-टाइप क्रूज मिसाइल ले जाने में सक्षम है, जिसका इस्तेमाल रूस बड़े हमलों में प्रमुखता से करता है। हाल के महीनों में इस मिसाइल ने यूक्रेन के पावर ग्रिड को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। यूक्रेनी नौसेना के प्रवक्ता दिमित्रो प्लटेंचुक ने कहा कि एक पनडुब्बी को निशाना बनाने का ऑपरेशन यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई में टर्निंग पॉइंट है। उन्होंने इस तरह के ऑपरेशन को सबसे मुश्किल बताया। रॉयटर्स से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस दिन ने एक बार फिर से युद्ध में नौसैनिक युद्ध की संभावनाओं की धारणा को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि रूस के लिए पनडुब्बी की मरम्मत करना मुश्किल होगा, क्योंकि यह पानी के ऊपर करना होगा। इसका मतलब है कि जहाज फिर से हमले की चपेट में आ जाएगा।


