बर्लिन (राघव): जर्मन कार मेकर फॉक्सवैगन में बड़े पैमाने पर लोगों की छंटनी होने वाली है। कंपनी का प्लान साल 2030 तक जर्मनी में 35,000 लोगों की छंटनी का है। कंपनी पैसे बचाने के लिए यह कदम उठाने वाली है क्योंकि अमेरिकी टैरिफ के चलते पहले से ही कई कंपनियां चुनौतियों का सामना कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, फॉक्सवैगन के 20,000 से ज्यादा कर्मचारी वॉलेंट्री रिटायरमेंट लेकर जल्दी नौकरी छोड़ देने के लिए राजी हो गए हैं। हाल ही में वोल्फ्सबर्ग में कंपनी के हेडक्वॉर्टर में हुई बैठक में यह बात सामने आई कि छंटनी से लोगों की जिंदगी पर असर कम हो इसके लिए कंपनी उन्हें वॉलेंट्री रिटायरमेंट या समय से पहले स्वेच्छा से रिटायर होने का विकल्प दे रही है।
वर्कर्स को आसानी हो इसके लिए कंपनी छंटनी से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों के लिए सेवरेंस पैकेज का भी इंतजाम कर रही है। यह एक तरह का मुआवजा है, जो कंपनी या एम्प्लॉयर किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालने या नौकरी छोड़ने के बाद देती है। फॉक्सवैगन प्रभावित कर्मचारियों को 400,000 डॉलर तक का सेवरेंस पैकेज दे सकती है। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि किसने कितने समय तक के लिए कंपनी में काम किया है।
इतना ही नहीं, कंपनी 2026 से अपने ट्रेनी कर्मचारियों की संख्या भी 1,400 से घटाकर अब सिर्फ 600 कर देगी। ऐसा कर कंपनी अपने लेबर कॉस्ट को कम करने की कोशिश कर रही है। कंपनी का लक्ष्य हर साल लगभग 1.5 बिलियन यूरो की सेविंग्स करना है। इसके अलावा, 1,30,000 कर्मचारियों की भी सैलरी नहीं बढ़ेगी। पहले से प्लांड वेतन में 5 परसेंट की वृद्धि को कंपनी के फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। हालांकि, इन सबके बीच फॉक्सवैगन का यह भी कहना है कि वह फिलहाल अपनी किसी भी फैक्ट्री को बंद नहीं करेगी। इससे ट्रेड यूनियंस और लीडर्स भी शांत रहेंगे। कंपनी को उम्मीद है कि इन कदमों से जर्मनी में प्रोडक्शन को प्रतिस्पर्धी और स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी।