नई दिल्ली (नेहा): नवरात्रि का तीसरा दिन बेहद खास रहने वाला है क्योंकि इस बार 24 और 25 सिंतबर, यानी तृतीया तिथि दो दिन रहने वाली है। इस खास अवसर पर मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। भागवत पुराण में माता के इस रूप को बेहद सौम्य और शांत बताया गया है, जो सुख-समृद्धि देने वाली हैं। चंद्रघंटा माता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक के सुखों में वृद्धि होती है और समाज में सम्मान भी बढ़ता है। इस दिन माता के इस सरल, सौम्य और शांत रूप की पूजा करने से आत्मविश्वास और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा करने की विधि, प्रिय भोग, मंत्र और आरती।
देवी का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा हैं। इनके मस्तक पर एक घंटे के आकार का चंद्रमा है। इसी के चलते माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस नाम में एक अद्वितीय तेज और ममता समाहित है। मां चंद्रघंटा का रूप बेहद भव्य और अलौकिक है, जो शांतिपूर्ण है। साथ ही उनकी शक्ति भी अद्वितीय है। मां चंद्रघंटा हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्रदान कराने वाली हैं। इनकी पूजा करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे में तृतीया तिथि पर विशेष रूप से देवी की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। इस समय मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। चंद्रघंटा माता की पूजा में लाल और पीले रंग के गेंदे के फूल अर्पित करने का महत्व होता है। इन पुष्पों को देवी की ममता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।