नयी दिल्ली (नेहा): भारत सहित दुनिया के कई देशों में जन्म दर घट रही है। भारत में जन्म दर अब प्रति कपल 1.9 ही रह गयी है, जो कि प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर (रिप्लेसमेंट लेवल) से कम है। आबादी का रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 है, ऐसे में प्रजनन दर 1.9 ही रह जाना चिंता का विषय है। यही नहीं भारत में औसतन 14 फीसदी लोग चाह कर भी संतान को जन्म नहीं दे पा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की ‘वैश्विक जनसंख्या रिपोर्ट’ में भारत सहित दुनिया के कई देशों में घटती जन्म दर को लेकर अलर्ट किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही भारत की आबादी में अभी सीधे तौर पर असर नहीं दिख रहा है लेकिन एक पीढ़ी यानी कुछ दशकों में बाद गंभीर चिंता की स्थिति बन सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट दुनिया के 14 देशों के सर्वे के आधार पर तैयार की गयी है। रिपोर्ट में वे वजहें भी गिनायी गयी हैं जिनकी वजह से इन देशों में जनमदर घट रही है। सवेर् में लोगों से सवाल किया गया कि कि वे जितने बच्चों को जन्म देना चाहते थे, उससे कम क्यों पैदा किये या फिर एक भी बच्चा क्यों नहीं पैदा किया गया। लोगों ने इस सवाल के जवाब में जो कहा उससे कई बातें स्पष्ट हुई हैं। भारत में इस सवाल के जवाब में 13 फीसदी लोगों ने कहा कि वे इसलिए बच्चे पैदा नहीं कर पाये क्योंकि वे बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं या फिर गर्भ ठहरने में दिक्कत आ रही है। इसके अलावा 14 फीसदी लोगों का कहना था कि वे गर्भावस्था से जुड़ी मेडिकल समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं 15 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जिनका कहना है कि वे खराब स्वास्थ्य या फिर किसी गंभीर बीमारी के चलते माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं।
सर्वे में करीब 38 फीसदी लोगों ने कहा कि वे आर्थिक सीमाओं के चलते परिवार नहीं बढ़ाना चाहते। उन्हें लगता है कि यदि परिवार बहुत बढ़ा लिया तो फिर बच्चों की परवरिश, शिक्षा, रिहायश जैसी चीजें व्यवस्थित तरीके से पूरी नहीं हो सकेंगी। वहीं 22 फीसदी लोगों की चिंता आवास से जुड़ी है और 21 फीसदी लोग रोजगार के अवसरों की कमी के कारण बच्चे नहीं पैदा करना चाहते। दिलचस्प बात है कि आर्थिक चिंता के चलते परिवार बढ़ाने से बचने वालों की संख्या अमेरिका में भी 38 फीसदी ही है।