श्रीनगर (नेहा): आतंकियों और अलगाववादियों के पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट करने के अभियान के तहत जम्मू-कश्मीर प्रदेश सरकार ने बुधवार को 25 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें एजी नूरानी की द कश्मीर डिस्पयूट 1947-2002, अरुंधति राय की आजादी और अनुराधा भसीन जम्वाल की ए डिसमेंटल्ड स्टेट(द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370) भी शामिल है।
प्रतिंबंधित किताबें जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का प्रचार करने वाली, जम्मू कश्मीर के संदर्भ में भारत के वैधानिक दावे को नकारने और स्थानीय युवाओं में भारत की एकता अखंडता के प्रति नफरत और बगावत की भावना पैदा करने वाली हैं। जम्मू कश्मीर गृह विभाग के अनुसार, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देशानुसार, 25 किताबों पर पाबंदी लगाई गई हैं।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार के संज्ञान में आया था कि जम्मू कश्मीर में कुछ ऐसी किताबें और साहित्य को बढ़ावा दिया जा रहा है,जिनमें कश्मीर के संदर्भ में तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हुए कश्मीरियों को मुख्यधारा से विमुख करने का प्रयास किया गया है।
यह किताबें अलगाववाद को बढ़ावा देते हुए जम्मू-कश्मीर के युवाओं के मन में जिहादी और आतंकी मानसिकता को पैदा कर उन्हें भारत की एकता,अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ हिंसा के लिए भड़काती हैं।
इन सभी तथ्यों का पता लगाने के लिए एक गहन जांच कराई गई और पता चला कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववाद में युवाओं की भागीदारी के पीछे झूठी कहानियों और अलगाववादी साहित्य का व्यवस्थित प्रसार रहा है, जिसे अक्सर ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में प्रच्छन्न किया जाता है, जबकि यह युवाओं को गुमराह करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और भारतीय राज्य के खिलाफ हिंसा भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने बताया कि जांच में पाया गया कि यह किताबें और साहित्य सुनियोजित तरीके से युवाओं में पीड़ित होने की भावना को पैदा करते हुए, उनमें आतंकियों का महिमामंडन करता है और उन्हें भी आतंकी बनने के लिए तैयार करता है।
जांच के दौरान अभी तक 25 ऐसी पुस्तकों को चिह्नित किया गया है। यह पुस्तकें एतिहासिक तथ्यो को गलत तरीके से पेश करती हैं और आतंकी व अलगाववादी विचारधारा का प्रयार करते हुए उन्हें पोषित करती हैं।
इसलिए इन सभी किताबों कों भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 98 के अनुसार ‘ज़ब्त” घोषित किया जाना आवश्यक है। यह सभी 25 पुस्तकें भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालती हैं, इसलिए इन पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 152, 196 और 197 के प्रावधान लागू होते हैं।
इसलिए, भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 98 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए,25 पुस्तकों के प्रकाशन और उनकी प्रतियों या अन्य दस्तावेजों को सरकार के जब्त करने का फैसला लिया गया है। अब इन पुस्तकों का न कोई बेच सकता है और न इनका प्रचार प्रसार करता है। अगर करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हयूमन राईट्स वॉयलेशन इन कश्मीर, कश्मीरीज फाइट्स फॉर फ्रीडम, कोलोनाइजिंग कश्मीर, कश्मीर पॉलिटिक्स एंड प्लेबिसाइट, डू यू रिमेंबर कुननपोशपोरा,मुजाहिद की अजान, अल जिहाद फिल इस्लाम, इंडिपिंडेंट कश्मीर,रजिस्टिंग ऑक्यूपेशन इन कश्मीर, बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन (जेंडर एंड मिल्ट्राइजेशन इन कश्मीर), कंटेस्टिड लैंड्स,इन सर्च आफ ए फ्यूचर( द स्टोरी आफ कश्मीर)।
कश्मीर इन कनफ्लिक्ट (इंडिया, पाकिस्तान एंड द अनऐंडिंग वार),द कश्मीर डिस्पयूट 1947-2002, कश्मीर एट द क्रॉसरोड्स( इनसाइड ए 21 सेंचुरी कनफ्लिक्ट), ए डिसमेंटल्ड स्टेट(द अनटोल्ड स्टोरी आफ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370), रजिस्टिंग डिसएपेयर्स(मिल्ट्री आक्यूपेशन एंड विमेन एक्टिविज्म इन कश्मीर)।
कनफ्रंटिंग टेरेरिज्म, फ्रीडम कैपटिविटी(नेगोशिएशनस आफ बिलांगिंग एलांग कश्मीरी फ्रंटियर), कश्मीर (द केस फार फ्रीडम),आजादी, यूएसए एंड कश्मीर, ला एंड कनफ्लिक्ट रिजल्यूशन इन कश्मीर, तारीख ए सियासत कश्मीर और कश्मीर एंड द फ्यूचर आफ साउथ एशिया।